जुबिली स्पेशल डेस्क
भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार (24 नवंबर 2025) को पदभार संभाल लिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें शपथ दिलाई।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सहित कई विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। शपथ ग्रहण के साथ ही जस्टिस सूर्यकांत औपचारिक रूप से देश की न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर नियुक्त हो गए।
उनके सफर पर एक नजर
देश की राजधानी दिल्ली से करीब 136 किलोमीटर दूर हरियाणा के हिसार जिले के छोटे से गांव पेटवाड़ में एक तपती दोपहर थी। गेहूं की फसल की मड़ाई में पसीने से तरबतर एक दुबला-पतला किशोर अपने भाइयों के साथ मेहनत कर रहा था। अचानक उसने थ्रेशर मशीन रोक दी, आसमान की ओर देखा और बुलंद आवाज में कहा, “मैं अपनी जिंदगी को बदल दूंगा।”
वह साधारण-सा मैट्रिक पास लड़का था, लेकिन उस समय किसी को यह अंदाजा नहीं था कि सरकारी स्कूल में बोरी पर बैठने वाला वही बच्चा, भविष्य में सुप्रीम कोर्ट का प्रधान न्यायाधीश बनकर लोगों को न्याय देगा।
आज वही बच्चा, सूर्यकांत, 24 नवंबर 2025 से भारत के 53वें प्रधान न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेंगे। उनका कार्यकाल लगभग 15 महीने (24 नवंबर 2025 – 9 फरवरी 2027) का होगा।
शुरुआती जीवन और शिक्षा
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हुआ था। पिता मदनगोपाल शास्त्री संस्कृत के शिक्षक थे और माता शशि देवी एक गृहिणी। वे पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके भाई-बहनों में ऋषिकांत (सेवानिवृत्त शिक्षक), शिवकांत (डॉक्टर), देवकांत (सेवानिवृत्त आईटीआई प्रशिक्षक) और बहन कमला देवी शामिल हैं।
पिता चाहते थे कि सूर्यकांत उच्च कानूनी शिक्षा (LLM) हासिल करें, लेकिन उन्होंने एलएलबी के बाद सीधे वकालत शुरू करने का निर्णय लिया।
महत्वपूर्ण मामले
- जस्टिस सूर्यकांत ने कई प्रमुख मामलों में भूमिका निभाई है:
- चुनाव आयोग को बिहार में मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए 65 लाख मतदाताओं का ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्देश।
- संविधान पीठ का हिस्सा रहे, जिसने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने का केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रखा।
- ओआरओपी (वन रैंक वन पेंशन) को संवैधानिक रूप से वैध माना और भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए समान अवसर का समर्थन किया।
असम से संबंधित नागरिकता मामलों में धारा 6ए की वैधता बरकरार रखी। दिल्ली आबकारी शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत दी, जबकि गिरफ्तारी को जायज ठहराया।सूर्यकांत की कहानी इस बात का उदाहरण है कि कड़ी मेहनत और संकल्प से किसी भी साधारण बच्चे की जीवन यात्रा शिखर तक पहुंच सकती है।
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