जुबिली स्पेशल डेस्क
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी प्रमुख बेगम खालिदा जिया की हालत बेहद नाज़ुक बनी हुई है। ढाका के एवरेकेयर अस्पताल में लगातार चौथे दिन उनकी क्रिटिकल केयर यूनिट में गहन इलाज जारी है।
इसी बीच सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक ट्वीट ने बांग्लादेश की राजनीति, क्षेत्रीय कूटनीति और भारत–ढाका संबंधों में नई हलचल पैदा कर दी। पीएम मोदी ने न केवल खालिदा जिया की सेहत पर चिंता जताई, बल्कि यह भी कहा कि भारत हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।
पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, “बेगम खालिदा जिया के स्वास्थ्य के बारे में जानकर बहुत चिंता हुई। उन्होंने कई वर्षों तक बांग्लादेश के सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं। भारत हर संभव सहायता देने को तैयार है।”

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बयान सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि एक गहरा राजनीतिक संदेश है। खालिदा जिया बांग्लादेश की राजनीति में शेख हसीना के बाद सबसे प्रभावशाली चेहरों में से एक हैं।
उनकी पार्टी बीएनपी मौजूदा अंतरिम सरकार और उसमें मोहम्मद यूनुस की भूमिका का कड़ा विरोध कर रही है। भारत भी यूनुस की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता को लेकर चिंतित है। ऐसे में पीएम मोदी का यह ट्वीट संवेदना से अधिक एक रणनीतिक संकेत माना जा रहा है।
चीनी ‘मेडिकल टीम’ की एंट्री-रणनीति या संयोग?
खालिदा जिया की हालत बिगड़ते ही चीन ने भी तुरंत सक्रियता दिखाई। सोमवार को चीन के पांच विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक मेडिकल टीम ढाका पहुँची और सीधे एवरेकेयर अस्पताल में मेडिकल बोर्ड से मुलाकात की।
अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट और बोर्ड प्रमुख डॉ. शहाबुद्दीन तालुकदार के अनुसार, टीम ने उनकी मेडिकल रिपोर्टों की विस्तृत समीक्षा की और आगे की उपचार प्रक्रिया पर चर्चा की। अस्पताल सूत्रों ने बताया कि यह सिर्फ प्रारंभिक टीम है, जबकि मुख्य विशेषज्ञ दल मंगलवार को आ सकता है, यदि उनकी तबीयत और बिगड़ती है।
यह कदम उल्लेखनीय है क्योंकि खालिदा जिया के विदेश में इलाज की मांग उनके समर्थक लंबे समय से करते रहे हैं, लेकिन सरकार ने कभी अनुमति नहीं दी।
कैसी है खालिदा जिया की सेहत?
बीएनपी नेताओं के अनुसार, उनकी स्थिति बेहद नाज़ुक है। पार्टी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने बताया कि स्थानीय और विदेशी डॉक्टर मिलकर लगातार इलाज कर रहे हैं, लेकिन हालत में सुधार नहीं है।
बीएनपी उपाध्यक्ष अहमद आज़म खान के मुताबिक, उनकी स्थिति “वेंटिलेशन-लेवल या उससे भी अधिक गंभीर” है। लिवर, किडनी और हार्ट की पुरानी जटिलताएँ एक साथ बढ़ जाने के कारण स्थिति अत्यंत चिंताजनक हो चुकी है।
कूटनीतिक संदेश कितना बड़ा?
विशेषज्ञों के अनुसार, पीएम मोदी का ट्वीट भारत की ‘सॉफ्ट बैलेंसिंग’ रणनीति का हिस्सा है—खासकर तब जब चीन के डॉक्टर उसी समय ढाका में मौजूद हैं।
भारत पारंपरिक रूप से खालिदा जिया और बीएनपी को क्षेत्रीय मामलों में एक भरोसेमंद साझेदार मानता रहा है। वहीं भारत और शेख हसीना के संबंध मजबूत रहे हैं, लेकिन वर्तमान अस्थिर राजनीतिक माहौल में दिल्ली किसी एक धड़े पर निर्भर रहने की गलती नहीं करना चाहती।
मोहम्मद यूनुस की बढ़ती भूमिका, चीन की सक्रियता और पश्चिमी देशों का समर्थन—इन सभी कारकों को देखते हुए भारत हर प्रमुख राजनीतिक खिलाड़ी से संवाद बनाए रखना चाहता है। खालिदा जिया को नजरअंदाज़ करना इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि वे बांग्लादेश की सबसे करिश्माई और प्रभावशाली नेताओं में शुमार की जाती हैं।
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