- माओवादी केंद्र सहित चार राजनीतिक दलों ने विलय कर बनाया समाजवादी मोर्चा नामक नया दल
- भविष्य की राजनीतिक उलटफेर के दृष्टिगत बनाया गया नया मोर्चा
यशोदा श्रीवास्तव
काठमांडू। नेपाल में चार राजनीतिक दलों के एक साथ मिलकर नया राजनीतिक दल के गठन पर सहमति बनी है।
ऐसा हो पाया तो नेपाल में समाजवादी मोर्चा नाम का यह दल नेपाल में तीसरी बड़ी राजनीतिक दल होगा। रविवार को काठमांडू स्थित प्रधानमंत्री निवास बालुआटार में प्रधानमंत्री प्रचंड के समक्ष हुई इस बैठक में माओवादी केंद्र, सीपीएन यूनिफाइड सोशलिस्ट, जनता समाजवादी पार्टी तथा नेत्र विक्रम चंद की पार्टी सीपीएन के शीर्ष नेता शामिल हुए।
समाजवादी मोर्चा के नाम से नवगठित नए दल की खास बात यह है कि इसमें माओवादी केंद्र, सीपीएन यूनिफाइड सोशलिस्ट और नेत्र विक्रम चंद की पार्टी का मिजाज एक है।
ये सभी खाटी कम्युनिस्ट हैं जबकि जनता समाजवादी पार्टी का मिजाज अलग है। इन चार पार्टियों के मिलकर बने तीसरे दल के पास प्रतिनिधि सभा में करीब 60 सांसद हो जाएंगे।
प्रतिनिधि सभा में अभी फिलहाल माओवादी केंद्र तीसरा बड़ा दल था जिसके पास 39 सदस्य है। नेपाली कांग्रेस और एमाले के क्रमशः 88 और 89 सीटें हैं। प्रचंड के साथ शेष तीन और पार्टियों के विलय से इनकी सदस्य संख्या 60 हो गई।
इस तरह प्रतिनिधि सभा में ये न केवल एक शक्तिशाली दल हो गए, सरकार बनाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका भी हो गई। अभी ये सारे दल नेपाली कांग्रेस के साथ प्रचंड सरकार के सहयोगी हैं।

नेपाल में नकली भूटानी शरणार्थी प्रकरण जिस तरह तूल पकड़ता जा रहा है उस हिसाब से नेपाल का मौजूदा राजनीति कभी भी करवट बदल सकता है। इस प्रकरण में नेपाली कांग्रेस और विपक्षी दल एमाले के कई शीर्ष नेता लपेटे में हैं जिन पर करोड़ों की धन उगाही कर नेपाली युवकों को नकली भूटानी शरणार्थी बताकर अमेरिका भेजें जाने का आरोप है।
नेपाली राजनीतिक गलियारों में खबर है कि भविष्य में बदले राजनीति समीकरण में प्रचंड सरकार की सुरक्षा के लिए नया मोर्चा बनाया गया है वहीं सत्ता रूढ़ दल की ओर से कहा गया कि नकली भूटानी शरणार्थी प्रकरण से प्रचंड सरकार को कोई खतरा नहीं है।
बहरहाल रविवार को चारों दलों के मिलकर एक दल बनाए जाने की सहमति के बाद सोमवार को इसकी अधिकृत घोषणा की जाएगी।
समाजवादी मोर्चा नामक नए दल में पूर्व पीएम डा.बाबू राम भट्टाराई, मधेशी नेता उपेन्द्र यादव, पूर्व एमाले नेता माधव कुमार नेपाल की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। बता दें कि इस मोर्चे के लिए माओवादी केंद्र के उपाध्यक्ष कृष्ण बहादुर महरा की खास भूमिका रही है जो इसके लिए पिछले दो तीन महीने से सक्रिय थे।
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