जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली, अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते (ट्रेड डील) की चर्चाओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान बड़ा बयान दिया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी उत्पादकों के हितों से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा, चाहे इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े।
पीएम मोदी का बयान:
प्रधानमंत्री ने कहा,“हमारे लिए, हमारे किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं कि मुझे इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। भारत आज अपने किसानों के लिए तैयार है।”
प्रधानमंत्री के इस बयान को अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं से जोड़कर देखा जा रहा है। खासतौर पर उन क्षेत्रों में जहां अमेरिकी कृषि और डेयरी उत्पाद भारत में प्रवेश की कोशिश कर रहे हैं।
अखिलेश यादव का पलटवार:
प्रधानमंत्री के बयान पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,“भाजपा को 10 साल पहले यह सोचना चाहिए था कि हमें अपने किसानों, कृषि और डेयरी उत्पादों के हितों के बारे में हमेशा चिंतित रहना चाहिए। जो सरकार पहले कहती थी कि भारत का हर देश से अच्छा संबंध है, अब वही सरकार ऐसे बयान दे रही है, ये दुर्भाग्यपूर्ण है।”
“विदेश नीति पूरी तरह असफल”
सपा प्रमुख ने केंद्र सरकार की विदेश नीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा,“हम अपनी विदेश नीति में पूरी तरह असफल रहे हैं। किसानों की आय दोगुनी करने का वादा अब तक अधूरा है, युवा बेरोजगार हैं, और देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है। भारत चारों ओर से घिर गया है।”
अमेरिका-भारत संबंधों पर टिप्पणी:
अखिलेश यादव ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कथित बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें भारत द्वारा रूस से तेल खरीद को लेकर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने की बात कही गई थी।“हमें अमेरिका के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को बनाए रखना चाहिए। यह समझना होगा कि 11 साल सरकार में रहने के बाद अब यह सरकार इन मुद्दों पर सफाई क्यों दे रही है?”
भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ताएं अब निर्णायक मोड़ पर हैं। अमेरिका की मांग है कि भारत अपने कृषि और डेयरी बाजार को अमेरिकी उत्पादों के लिए खोले, लेकिन भारतीय किसान संगठनों और विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान ऐसे समय आया है जब सरकार पर विदेशी दबाव में घरेलू हितों को नजरअंदाज करने के आरोप लग रहे हैं।