Saturday - 6 January 2024 - 10:37 PM

Farmer Protest : कोर्ट के दखल के बाद किसानों का ये है अगला कदम

जुबिली स्पेशल डेस्क

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मसले को सुलझाने के लिए चार सदस्यी कमेटी का किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि कमेटी कोई मध्यस्थ्ता कराने का काम नहीं करेगी, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाएगी।

कमेटी कानून का समर्थन और विरोध कर रहे किसानों से बात करेगी। दोनों पक्ष को सुना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो कानून सस्पेंड करने को तैयार हैं, लेकिन बिना किसी लक्ष्य के नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसान समस्या का हल चाहते हैं तो उन्हें कमेटी में पेश होना होगा।

किसानों से बात करने के बाद ये कमेटी अपनी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को ही सौंपेगी, जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आती है तबतक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी। कोर्ट के इस फैसले के बाद किसान इसे अपनी जीत बता रहे हैं।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई इस कमेटी पर सवाल भी उठने लगे हैं। दरअसल, सुप्रीम की ओर से बनाई गई कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी शामिल हैं। उधर किसान संगठनों ने कमेटी को लेकर असहमति जताई है।

उधर किसान आंदोलन को अब 48 दिन हो गए है। कृषि कानून को लेकर किसान संगठनों का प्रदर्शन जारी रहेगा। किसान संगठनों ने एक बार फिर साफ करते हुए कहा है कि हमारी लड़ाई सरकार से है सुप्रीम कोर्ट से नहीं है। इसके साथ ही 26 जनवरी ऐतिहासिक प्रदर्शन करने की बात कही है।

भारतीय किसान यूनियन (आर) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हमने कल ही कहा था कि हम ऐसी किसी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे। हमारा आंदोलन हमेशा की तरह आगे बढ़ेगा।

इस समिति के सभी सदस्य सरकार समर्थक हैं और कृषि कानूनों को सही ठहरा रहे हैं। क्रांति किसान यूनियन के प्रमुख दर्शन पाल ने कहा कि हमने कल रात एक प्रेस नोट जारी किया था जिसमें कहा गया था कि हम मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किसी भी समिति को स्वीकार नहीं करेंगे। हमें विश्वास था कि केंद्र को उनके कंधों से बोझ उठाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से एक समिति का गठन किया जाएगा

उधर किसान नेता राकेश टिकैत ने इसको लेकर एक ट्वीट किया है। राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी। देश का किसान इस फैसले से निराश है।

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उधर कांग्रेस मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने भी इस मामले पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो चिंता ज़ाहिर की उसका हम स्वागत करते हैं। लेकिन जो चार सदस्यीय कमेटी बनाई वो चौंकाने वाला है।

ये चारों सदस्य पहले ही काले कानून के पक्ष में अपना मत दें चुके हैं। ये किसानों के साथ क्या न्याय कर पाएंगे ये सवाल है। ये चारों तो मोदी सरकार के साथ खड़े हैं। ये क्या न्याय करेंगे। एक ने लेख लिखा कि एक ने मेमेरेंडम दिया। एक ने चिट्ठी, लिखी। एक पेटिशनर है।

 

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