जुबिली न्यूज डेस्क
अमेरिका की नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पोस्ट की गई नस्लभेदी और महिला-विरोधी आपत्तिजनक पोस्ट्स, मीम्स और कॉमेंट्स को फेसबुक ने हटा दिया है।
फेसबुक हमेशा से कहता आया है कि वो अपने मंच से नफरत फैलाने वाली 90 फीसदी सामग्रियों को उनके बारे में शिकायत करने के पहले ही हटा लेता है।

हालांकि, हैरिस के बारे में नफरत भरी सामग्रियों को हटाने के बाद फेसबुक ने कहा है कि वो इन सामग्रियों को पोस्ट करने वाले ग्रुपों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
ये भी पढ़े : बिहार सरकार में पहली बार मुसलमानों की नुमाइंदगी नहीं, विपक्ष को मिला मुद्दा
ये भी पढ़े : बिहार में इन चुनौतियों से कैसे निपटेगी बीजेपी
फेसबुक की विश्वसनियता पर लंबे समय से सवाल उठ रहा हैै। दो महीने पहले भारत में भी फेसबुक की पारदर्शिता पर सवाल उठा था।
भारतीय मूल की वजह से कमला पर हुआ था कमेंट
जिन पन्नों को फेसबुक ने हटाया है उस पर कमला हैरिस पर तरह-तरह के आरोप लगाए गए थे। जैसे कि वो अमेरिकी नागरिक नहीं हैं क्योंकि उनकी मां भारतीय थीं और पिता जमैका के थे।
कुछ कमेंट्स में कहा गया था कि कमला को “भारत डिपोर्ट कर देना चाहिए”।
इसके अलावा कई मीम्स में कमला हैरिस के नाम का मजाक उड़ाया गया था।
जिन पेज को हटाया गया है उनमें एक पेज पर 4,000 सदस्य थे दूसरे पर 1,200। इन पन्नों पर कई बार यौन सामग्रियां और
महिला-विरोधी सामग्रियां भी दिखीं थी जिन्हें अब हटा लिया गया है।
फेसबुक की उनके विज्ञापनदाता और नागरिक-अधिकार समूह लगातार ये कहकर आलोचना करते हैं कि वो नफरत भरी सामग्रियों को हटाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा।
अगस्त महीने में सैकड़ों कंपनियों ने विरोध में फेसबुक पर विज्ञापन देना बंद कर दिया था।
ये भी पढ़े : कांग्रेस के भीतर से तेज होने लगी है असंतोष की आवाजें
ये भी पढ़े : मुसलमान को हराने लगी ओवेसी की जीत
ये भी पढ़े : दुनिया के सबसे महंगे कबूतर की कीमत जानते हैं आप

कमला हैरिस के बारे में पोस्ट्स के प्रकरण से पहले भी कुछ समूहों ने कहा था कि फेसबुक का अपना मॉडरेशन सिस्टम नस्लभेद और नफरत फैलाने वाली सामग्रियों को नहीं पकड़ पाता, बल्कि कुछ मामलों में वो उन्हें बढ़ावा ही देता है।
स्टॉप हेट फॉर प्राफिट नामक गुट के रिशाद रॉबिन्सन ने भी कहा था कि फेसबुक ने ऐसा अलगॉरिदम बनाया है जो नफरत फैलाने वालों को प्रलोभन ही देता है।
पिछले सप्ताह भी, जो बाइडन के एक वरिष्ठ सहयोगी ने फेसबुक पर हमला करते हुए कहा था कि वो अमरीका चुनाव के बाद ऐसी सामग्रियों पर लगाम लगाने में असरदार नहीं रही जिनमें लोगों से हिंसा करने के लिए कहा जा रहा था और गलत सूचनाएं फैलाई जा रही थीं।
जो बाइडन के डिप्टी प्रेस सचिव ने कहा – “हमारा लोकतंत्र निशाने पर है, हमें जवाब चाहिए। ”
वहीं मीडिया की निगरानी करने वाली एक संस्था मीडिया मैटर्स के अध्यक्ष एंजेलो कैरूसोन ने इस बारे में कहा, “मीडिया की शिकायत के बाद सामग्रियों को हटाना ये दर्शाता है कि फेसबुक के नियम और दिशानिर्देश कितने खोखले हैं जिनके पालन के लिए वो नहीं के बराबर प्रयास करते हैं। “
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
