जुबिली स्पेशल डेस्क
अगर आप किसी कंपनी, खासतौर पर प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते हैं, तो EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को सुरक्षित रिटर्न और बुजुर्गावस्था में आर्थिक सुरक्षा देने के लिए EPFO की शुरुआत की थी।
सैलरी में से हर महीने 12% पीएफ जमा किया जाता है, और इसी में से 8.33% EPS (Employee Pension Scheme) में जाता है, जिसका लाभ रिटायरमेंट के बाद मिलता है।

EPS पेंशन क्या है?
EPS वह पेंशन है जो कर्मचारियों को 10 साल की नौकरी पूरी करने और 58 साल की उम्र पूरी होने के बाद हर महीने दी जाती है।
- नौकरी के दौरान हर महीने EPS में योगदान जमा होता रहता है
- इस योगदान और वेतन के आधार पर पेंशन तय होती है
EPS पेंशन कैसे तय होती है?
- EPFO ने पेंशन निकालने का एक निर्धारित फॉर्मूला बनाया है।
- पेंशन निकालने का फॉर्मूला—
- मासिक पेंशन = (पेंशन योग्य वेतन × पेंशन योग्य सेवा) / 70
पेंशन योग्य वेतन क्या होता है?
यह आपकी आखिरी 60 महीनों (5 साल) की औसत सैलरी होती है।
इसी राशि को “पेंशन योग्य वेतन” माना जाता है।
उदाहरण: कितना मिलेगा पेंशन में?
मान लीजिए
- पेंशन योग्य वेतन = ₹15,000
- पेंशन योग्य सेवा = 10 वर्ष
तो फॉर्मूला के अनुसार—
मासिक पेंशन = (15,000 × 10) / 70 = ₹2,143
यानी इस कर्मचारी को हर महीने ₹2,143 पेंशन मिलेगी।
ज्यादा सैलरी और लंबी सर्विस = ज्यादा पेंशन
- आपकी पेंशन दो चीजों से तय होती है:
- आखिरी 5 साल की औसत सैलरी
- आपने कितने वर्ष EPS में योगदान दिया
जितनी ज्यादा सैलरी और जितना लंबा अनुभव, उतनी ही पेंशन बढ़ती जाएगी।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
