Saturday - 13 January 2024 - 2:55 PM

विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच करने वाले ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ा

जुबिली न्यूज डेस्क

केंद्र की सत्ता में बीजेपी के आने के बाद से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) काफी चर्चा में रहा है। विपक्षी दल अक्सर मोदी सरकार पर आरोप लगाते रहते है कि अपने हितों को साधने के लिए ईडी का इस्तेमाल करती है। खासकर विपक्षी दलों के डराने के लिए मोदी सरकार ईडी का इस्तेमाल करती आ रही है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दो केंद्रीय कानूनों- मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) को लागू करता है।

इस बार चर्चा में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा हैं। दरअसल केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते उनकी नियुक्ति के लिए वर्ष 2018 में जारी आदेश में संशोधन करते हुए उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है।

मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने का फैसला विवादों के घेरे में है क्योंकि ये आरोप लग रहे हैं कि विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे कि सीबीआई, एनआईए और ईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

ये भी पढ़े: शाह के गुपकर गैंग वाले बयान पर कांग्रेस का पलटवार, कहा-बीजेपी वाले हिंदू…

ये भी पढ़े: यूपी : सुप्रीम कोर्ट में भी शिक्षा मित्रों को नहीं मिली राहत 

ये भी पढ़े: चुनाव में धांधली को खारिज करने वाले अधिकारी को ट्रंप ने किया बर्खास्त

यह आरोप इसलिए भी लग रहा है क्योंकि मिश्रा विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कई मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को देख रहे हैं।

60 वर्षीय मिश्रा 1984 बैच के आयकर कैडर में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं। उन्हें 19 नवंबर 2018 कों ईडी का निदेशक नियुक्त किया गया था।

ईडी निदेशक मिश्रा का कार्यकाल इस हफ्ते खत्म हो रहा था, लेकिन वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग ने बीते शुक्रवार को एक अप्रत्याशित आदेश जारी कर कहा कि कि मिश्रा की नियुक्ति के लिए वर्ष 2018 में जारी आदेश में संशोधन किया गया है और राष्ट्रपति ने इसकी मंजूरी दे दी है।

अब संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीन सालों का होगा।

संजय कुमार मिश्रा ने आईपीएस ऑफिसर करनाल सिंह के रिटायर होने के बाद इस पद का कार्यभार संभाला था। एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फरवरी 2017 में दो साल का निश्चित कार्यकाल पाने वाले सिंह पहले ईडी निदेशक थे।

वहीं मिश्रा ईडी निदेशक बनने से पहले दिल्ली में आयकर विभाग में मुख्य आयुक्त थे। इसके अलावा वे केंद्र में अपर सचिव भी रहे हैं, जिसके चलते वे ईडी प्रमुख बनने के पात्र हो सके ।

क्या करती है ईडी

प्रवर्तन निदेशालय सीबीआई द्वारा दर्ज कई हाई प्रोफाइल बैंक फ्रॉड और काला धन के मामलों की जांच करने के अलावा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दर्ज टेरर फंडिंग जैसे मामलों को लेकर संपत्ति जब्त करने का भी काम करता है।

ये भी पढ़े: बद्रीनाथ धाम में यूपी वालों के लिए होंगी ये सुविधाएं

ये भी पढ़े: इस RJD नेता ने बतायी सुशील मोदी से BJP ने क्यों किया किनारा

विपक्ष को प्रताडि़त करने का काम रही है ईडी

बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी मामलों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। मोदी सरकार के आलोचकों का कहना है कि चूंकि सीबीआई को लंबी-चौड़ी जांच प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है, इसलिए केंद्र सरकार ने राजनीतिक फायदा उठाने के लिए विपक्ष को प्रताडि़त करने का काम अब ईडी को सौंप दिया गया है।

मिश्रा की अगुवाई में ईडी ने कई अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों जैसे एमनेस्टी इंटरनेशनल के यहां भी छापा मारा है। ईडी ने फेमा कानून के कथित उल्लंघन के आरोप में एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल के खिलाफ जांच की थी, लेकिन अंत में उन्हें कुछ नहीं मिला।

माना जाता है कि मिश्रा द्वारा निदेशक का पद संभालने के बाद से ही ईडी राष्ट्रीय स्तर पर लाइमलाइट में आया है।

सितंबर 2019 की इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार ईडी ने 2005 से लेकर पीएमएलए के तहत करीब 2,400 केस दर्ज किए हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ आठ मामलों में दोषसिद्धि हुई है।

ये भी पढ़े:  आईआरसीटीसी ने तेजस एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन क्यों रद्द किया?

ये भी पढ़े:  लक्ष्मी विलास के बाद RBI ने लगाई एक और बैंक पर भी पाबंदी

पिछले साल द वीक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था, ‘ईडी के भीतर हुए अधिकतर बदलाव इसके निदेशक एसके मिश्रा के कार्यकाल में हुए हैं, जिन्होंने अक्टूबर 2018 में पद संभाला था। मिश्रा खुद को मीडिया से दूर रखना पसंद करते हैं। इसीलिए ईडी की वेबसाइट के पर निदेशक का फोटो भी उपलब्ध नहीं है।’

रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि ‘दिल्ली के खान मार्केट के नजदीक स्थित लोकनायक भवन में मिश्रा हफ्ते में छह दिन काम करते हैं। वे एक ऐसे संगठन की अगुवाई करते हैं, जिसमें 2,066 अधिकारियों की स्वीकृत पद हैं और इसमें 1,273 अधिकारियों की कार्यक्षमता है। उनमें से केवल 400 ही जांचकर्ता हैं।’

हालांकि इस एजेंसी की इस बात को लेकर भी आलोचना होती रहती है कि यह केस तो दर्ज कर लेती है लेकिन सजा दिलाने में इसका प्रदर्शन बहुत खराब है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com