Sunday - 7 January 2024 - 5:54 AM

मतगणना के काउंटडाउन के साथ बढ़ी धुकपुकी

केपी सिंह

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की मतगणना की उल्टी गिनती पूरी होने में अब कुछ घंटों का समय शेष रह गया है। सारे एग्जिट पोल इशारा कर रहे हैं कि दिल्ली में अभी भी आम आदमी पार्टी की जबर्दस्त लहर है और इस कारण उसकी फिर से पिछले चुनाव जैसे कमोवेश बहुमत से सरकार में वापसी के आसार हैं। दूसरी ओर दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने यह दावा ठोककर कि दिल्ली में 48 सीटें प्राप्त कर भाजपा सरकार बनाने जा रही है, सनसनी फैला दी है। इतना ही नही उन्होंने दावा किया है कि लोग उनके इस टवीट को संजोकर रखे तांकि मतगणना के बाद उन्हें मालूम हो सके कि वे कितने बड़े राजनैतिक ज्योतिषी हैं।

वैसे तो मनोज तिवारी का 48 सीटों का दावा शिगूफेबाजी समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता लेकिन उन्होंने इसे सनद के लिए संजोकर रखने का आवाहन करके अपने ऐसे आत्मविश्वास का परिचय दिया है जिससे आम आदमी पार्टी के नेताओं का आत्मविश्वास हिल गया है। साथ ही सभी में दिल्ली की मतगणना के परिणाम को जानने की आतुरता चरम सीमा पर पहुंच गई है।

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एग्जिट पोल का गुणा-भाग देखकर डिप्रेशन में चले गये भाजपा के कार्यकर्ता मनोज तिवारी के डेकाड्रान से एकदम चैतन्य होकर बताने लगे हैं कि किस तरह मनोज तिवारी का दावा हवा-हवाई न होकर धरातल के अनुरूप है जिसे मीडिया के लोग नही समझ पाये। मीडिया का सर्वे तीन बजे तक का है जबकि दिल्ली में अंतिम घंटों में भारी वोटिंग हुई जो कि नया ट्रेंड था। पर आखिरी समय वोटिंग करने वाले लोग केवल भाजपा के पक्ष के थे और किसी रणनीति के तहत अंतिम दो घंटों का इंतजार कर रहे थे इस संयोग को स्थापित किया जाना भरमाने से ज्यादा अर्थ नही रखता।

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सर्वे कितने भी समय का हो लेकिन दिल्ली के लोगों की सामूहिक मानसिकता को उजागर करने वाला है जो सुबह के समय मतदान करने वालों और शाम के समय मतदान करने वालों में एक जैसी रहनी चाहिए। अगर सुबह के समय ज्यादातर मतदाताओं ने आप को पसंद किया तो शाम की पाली के मतदाता भी आप के पक्ष में ही गये होगें यह एक सहज निष्कर्ष है।

यह हो सकता है कि शाम के समय भाजपा समर्थकों का प्रतिशत कुछ ज्यादा हो गया हो जो पहले अन्यमनस्कता के वजह से मतदान के लिए न निकले हों लेकिन शाम को अपनी पार्टी के सम्मान की चिंता उन्हें हुई हो तो वे आलस्य छोड़कर मतदान केंद्रों पर पहुंच गये हों। लेकिन आखिरी घंटों के सारे 17 प्रतिशत मतदाता भाजपा के ही पाले के थे इस पर विश्वास करना शेखचिल्लीपन के अलावा कुछ और नही है।

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इसीलिए मनोज तिवारी के टवीट में आप के नेता कुछ और पढ़ रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि मनोज तिवारी का टवीट कहीं परिणाम को कृत्रिम तरीके से छेड़छाड़ के जरिये बदले जाने की पूर्व भूमिका तो नही है। पहले से ही आम आदमी पार्टी को ईवीएम पर विश्वास नही रहा है। अब उन्होंने फिर कहना शुरू कर दिया है कि ईवीएम में छेड़छाड़ कर चुनावी बिसात पलटने की साजिश हो रही है। मतदान का परसेंटेज जारी करने में हुए विलंब से उन्हें एक आधार मिल गया है। जिससे अपनी शंका को वे ठोस ठहरा सकें।

बहरहाल जो भी हो, आम लोग भी इसी के मददेनजर मंगलवार को होने जा रही मतगणना की बारीकी से निगहबानी करने में लगे हुए हैं। अगर चुनाव परिणाम सर्वे को झुठलाने वाले हुए तो आम लोगों को भी लगेगा कि ईवीएम में कुछ न कुछ कारिस्तानी जरूर हुई है। चुनाव आयोग की विश्वसनीयता इस कारण दांव पर है। जिस पर किसी तरह की आंच न आने देने का मुकम्मल इंतजाम आयोग को करना होगा तांकि लोकतंत्र में लोगों की आस्था बनी रह सके।

दिल्ली के चुनाव में वर्ण व्यवस्था पर आधारित भारतीय समाज के कई अदृश्य फैक्टर भी काम कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल वैश्य समाज से आते हैं। धारणा यह रही है कि इस समाज के लोगों में राजकाज की योग्यता नही होती। लेकिन एक बड़ा वर्ग है जो यह मानता है कि अरविंद केजरीवाल ने अभी तक के किसी मुख्यमंत्री की तुलना में अधिक फलदाई शासन संचालित किया है। उनके काम ने ही मोदी और अमित शाह को उनके सामने बेमानी बनाया है। जिसकी बहुत कसक अमित शाह के मन में होगी।

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दूसरी बात अरविंद केजरीवाल वैश्य अस्मिता के सबसे मजबूत संबल बनकर उभरे हैं भले ही यह दृश्यमान न हो। इस कारण देश भर में वैश्य समाज की सहानुभूति उनके साथ जुड़ गई है। वे दिल्ली में रिपीट हुए तो भारतीय राजनीति में एक नया ध्रुव तैयार होगा।

अभी तक ठाकुर, ब्राहमण, ओबीसी, दलित और मुस्लिम की धुरी पर राजनीति का पहिया घुमाने का रिवाज रहा है। लेकिन वैश्य समाज को केंद्र में रखकर नई राजनैतिक शुरूआत क्या गुल खिला सकती है यह जानना अब दिलचस्प हो गया है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)

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