Thursday - 11 January 2024 - 6:37 AM

बच्चे के गुस्से और चिड़चिड़ेपन को न करें नजरअंदाज : रिपोर्ट

न्यूज डेस्क

बच्चों का जितना अच्छा खेलना-कूदना लगता है उतना ही रोना और हंसना भी। बच्चा जितनी जल्दी जिद करता है या रोता है, उतना ही जल्दी मान भी जाता है, लेकिन कई बच्चे बात-बात पर गुस्सा हो जाते हैं और प्यार-दुलार के बाद भी नहीं मानते, यदि ऐसा आपका बच्चे के साथ है तो इसे अनुवांशिक असर मानकर नजरअंदाज न करें। बच्चों का चिड़चिड़ापन अनुवांशिक के बजाए विटामिन डी की कमी की वजह से भी हो सकता है।

बच्चों से लेकर बड़ों तक में विटामिन डी की कमी पायी जा रही है। एसी कमरों में रहना, बाहर खेलने नहीं जाना, खान-पान में लापरवाही, ऐसी कई वजहें है जिसकी वजह से बच्चों में विटामिन डी की कमी बढ़ती जा रही है। हाल में आई एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि विटामिन डी की कमी से छोटे बच्चों में चिड़चिड़ेपन की समस्या हो सकती है। ‘जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन’ नाम के जर्नल में ये रिसर्च छापी गई है।

रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार स्कूल जाने वाले, पांच साल से बड़े बच्चों में विटामिन डी की कमी की वजह से एक तरह का चिड़चिड़ापन आ जाता है, जिसकी वजह से उनका व्यवहार आक्रामक हो जाता है। इसके अलावा ऐसे बच्चे अपने आप में खोए हुए, चिंतिंत और अवसादग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे बच्चों का मूड जल्दी-जल्दी बदलता है।

यह रिसर्च मिशिगन यूनिवर्सिटी ने किया है। 5 साल से 12 साल की उम्र के 3202 बच्चों पर अध्ययन किया गया। इन बच्चों की रोजाना की आदतें, मां-बाप का शैक्षिक बैकग्राउंड, वजन, लंबाई व उनके खानपान आदि को ध्यान में रखकर शोधकर्ताओं ने आंकड़े जुटाए और फिर ब्लड टेस्ट किया। इसके बाद उन्होंने निष्कर्ष दिया कि छोटे बच्चों में विटामिन डी की कमी से व्यवहार परिवर्तन की समस्या बढ़ गई है।

पीडियाट्रीशियन डा. शैलेष अग्रवाल कहते हैं, विटामिन्स और पोषक तत्व हमारे शरीर के स्वास्थ्य के साथ-साथ हमारे मूड को भी प्रभावित करते हैं। आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए सभी तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है।

डा. अग्रवाल ने कहा, वर्तमान में बच्चों में विटामिन डी कमी बढ़ती जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है बच्चों का एसी कमरे में ज्यादा से ज्यादा रहना। दूसरी बड़ी वजह है कि बच्चों को बाहर खेलने न भेजकर घर में मोबाइल पकड़ा दिया जा रहा है। बच्चे घंटों मोबाइल से खेलते हैं, जिससे उनके फिजिकल एक्टिविटी कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि छह माह तक के बच्चे को विटामिन डी की दवा देनी चाहिए। इसके साथ ही बच्चों को आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रमोट करने की जरूरत है।

कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है यह समस्या

इस रिसर्च के मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर विलामोर कहते हैं, जिन बच्चों में स्कूली शिक्षा के दौरान विटामिन डी की कमी होती है, उनमें बिहेवियर प्रॉब्लम और चिड़चिड़ेपन की समस्या ज्यादा देखी गई है। उन्होंने कहा कि बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ेपन की समस्या पिछले कुछ समय में काफी बढ़ गई है। गांवों की अपेक्षा शहर के बच्चों में विटामिन डी की कमी ज्यादा तेजी से बढ़ी है। शहर में अभिभावक अपने बच्चों को जंक फूड्स, रेडी टू ईट फूड्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स देते हैं जिसकी वजह से विटामिन डी की कमी हो रही है।

विटामिन डी के लिए बच्चों को क्या खिलाए

विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत है सूरज की रोशनी। यह आपको निशुल्क मिलता है। दूसरा कई ऐसे हेल्दी फूड है जो विटामिन डी के अच्छे स्रोत हैं। जैसे दूध योगर्ट, मशरूम, अंडे का पीला भाग, फलों के जूस, मछली और चीज। जिन बच्चों में विटामिन डी की कमी हो उन्हें ये सब नियमित खिलाएं।

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