जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कथित गड़बड़ियों के आरोपों पर तीन जिलों के जिलाधिकारियों (DM) ने स्पष्टीकरण दिया है। जौनपुर, कासगंज और बाराबंकी के DM ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए सपा प्रमुख के दावों को पूरी तरह गलत बताया।

कासगंज DM का जवाब: “नाम काटना नियम अनुसार”
कासगंज के जिलाधिकारी प्रणय सिंह ने लिखा –“ईमेल के माध्यम से जनपद कासगंज की विधान सभा 101 अमांपुर के अंतर्गत आठ मतदाताओं के नाम गलत ढंग से काटने की शिकायत प्राप्त हुई थी। जांच में पाया गया कि सात मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दो बार होने के कारण नियमानुसार एक नाम विलोपित किया गया था। इन सात मतदाताओं का नाम आज भी सूची में विद्यमान है।” उन्होंने आगे बताया कि एक मतदाता की मृत्यु के कारण उनकी पत्नी द्वारा फॉर्म-7 भरने के बाद नाम विलोपित किया गया।
जौनपुर DM: “सभी मतदाता पहले ही मृतक”
जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश चंद्र ने भी सपा प्रमुख के आरोपों को खारिज करते हुए कहा –
“ईमेल से प्राप्त शिकायत में वर्णित पांचों मतदाता 2022 से पहले ही मृतक हो चुके थे। इसकी पुष्टि मृतकों के परिवार, स्थानीय लोगों और सभासद से की गई। मृतकों के नाम नियमानुसार हटाए गए। शिकायत पूरी तरह निराधार है।”
बाराबंकी DM: “दोनों मतदाता सूची में दर्ज”
बाराबंकी के जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने कहा –“विधानसभा क्षेत्र 266-कुर्सी में दो मतदाताओं के नाम हटाए जाने की शिकायत मिली। जांच में पाया गया कि दोनों मतदाता अब भी मतदाता सूची में दर्ज हैं।”
“निर्वाचन आयोग बच नहीं सकता”
जिलाधिकारियों के जवाब के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने निर्वाचन आयोग पर पलटवार किया। उन्होंने कहा –
“जिलाधिकारियों को आगे करके निर्वाचन आयोग खुद को बचा नहीं सकता। 2022 विधानसभा चुनाव में नाम काटने को लेकर हमने 18,000 शपथपत्र दिये थे। भाजपा सरकार उनमें से एक का भी सही जवाब नहीं दे रही। अगर नाम काटना नियम अनुसार था तो DM प्रमाणपत्र दिखाएं। अगर ये झूठ नहीं है तो जवाब देने में इतने साल क्यों लग गए?”
उन्होंने यह भी मांग की कि निर्वाचन आयोग उनकी पार्टी को मिली डिजिटल रसीदों की प्रामाणिकता की पुष्टि करने वाला हलफनामा जारी करे।
बैकग्राउंड: अखिलेश के आरोप और कोर्ट का रुख
अखिलेश यादव ने 17 अगस्त को अमांपुर, बख्शी का तालाब, जौनपुर सदर और कुर्सी निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप लगाया था और आयोग से डिजिटल रसीदों की वैधता का प्रमाण मांगा था। उन्होंने इसके स्क्रीनशॉट भी सोशल मीडिया पर साझा किए।
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