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नई दिल्ली। बैंक ऑफ बड़ौदा ने मुंबई के दिग्गज उद्योगपति विजय गोवर्धनदास कलंत्री और उनके बेटे विशाल कलंत्री को जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाला (विलफुट डिफाल्टर) घोषित किया है। विजय कलंत्री महाराष्ट्र के पहले निजी बंदरगाह दिघी बंदरगाह के चेयरमैन और एमडी हैं, जबकि बेटा विशाल कंपनी में निदेशक है।
दोनों पर 16 बैंकों का करीब 3334 करोड़ रुपये बकाया है। विजय सत्ता के गलियारे में अच्छी पैठ रखते हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा ने बीते 2 जून को मुंबई के एक समाचार पत्र में इस संदर्भ में सूचना प्रकाशित की। इसमें कहा गया है कि आम लोगों को यह सूचना दी जाती है कि विजय बैंक (अब बैंक ऑफ बड़ौदा) ने इन लोगों को बैंक/ आरबीआई के नियम, कानून तहत विलफुल डिफाल्टर घोषित किया है।

ये नाम हैं, दिघी पोर्ट लिमिटेड (कर्जदार), विशाल विजय कलंत्री, डायरेक्टर और गारंटर और विजय गोवर्धनदास कलंत्री, डायरेक्टर और गारंटर। बैंक ने कर्जदार/ गारंटर को विलफुल डिफाल्टर घोषित किए जाने की जानकारी दे दी है। साथ समाचार पत्र में इनकी तस्वीर भी प्रकाशित की गई है।
राजपुरी खाड़ी के दो तटों पर दिघी बंदरगाह का निर्माण महाराष्ट्र के पहले निजी बंदरगाह के रूप में हो रहा है। यहां माल उतारने- चढ़ाने एवं उसके रखरखाव के आधुनिक उपकरण लगाए जा रहे हैं। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने 25 मार्च 2018 के आदेश में दिघी बंदरगाह के कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रेजोलूशन प्रोसेस को मंजूरी दी थी।
एनसीएलटी ने दिघी पोर्ट के लिए प्रस्तुत जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के रेजोलूशन प्लान को स्वीकार कर लिया है। कलंत्री बालाजी इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स के भी प्रमुख हैं जो बंदरगाह का निर्माण कर रही है। इसके अलावा, वह भारत में उज्बेकिस्तान के वाणिज्य दूतावास के मानद राजदूत भी हैं।
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