जुबिली न्यूज डेस्क
गोरखपुर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में उस वक्त हड़कंप मच गया जब महिला पुलिस रिक्रूट्स ने ट्रेनिंग सेंटर की अव्यवस्थाओं और शोषण के खिलाफ सड़क पर उतरकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। सुबह से सैकड़ों महिला रिक्रूट्स मैदान में बैठ गईं और प्रशासन व पुलिस व्यवस्था के खिलाफ नारेबाजी करने लगीं। उनका आरोप है कि ट्रेनिंग सेंटर में बाथरूम में कैमरे लगे हैं, न बिजली है, न पानी, और कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
खुले में नहाने को मजबूर हैं महिला रिक्रूट्स
महिला रिक्रूट्स का आरोप है कि जहां उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है, वहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है।
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पानी की व्यवस्था नहीं है, जिससे वे सुबह-सुबह खुले में नहाने को मजबूर हैं।
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जगह-जगह गंदगी फैली हुई है, और
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शौचालयों में कैमरे लगे होने की बात ने सबको हैरान और परेशान कर दिया है।
एक रिक्रूट ने मीडिया से बात करते हुए कहा:”हम पुलिस में भर्ती होकर देश सेवा करना चाहते हैं, लेकिन यहां खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कैमरे बाथरूम में क्यों लगे हैं? क्या हमारी निजता का कोई मूल्य नहीं?”
अफसर नहीं सुन रहे, मजबूरी में उतरीं सड़क पर
प्रशिक्षण ले रहीं इन युवतियों ने कई बार प्रशासन और ट्रेनिंग सेंटर के अफसरों से शिकायतें कीं, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। नतीजतन, उन्हें धरने पर बैठने का फैसला लेना पड़ा।
इनका कहना है कि वे मानसिक रूप से परेशान हो चुकी हैं और भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इस दौरान कुछ महिला रिक्रूट्स फूट-फूटकर रोती भी नजर आईं।
कार्रवाई की मांग
महिला रिक्रूट्स और स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि:
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मामले की तत्काल उच्चस्तरीय जांच हो,
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बाथरूम में कैमरे लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो,
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और ट्रेनिंग सेंटर की सुविधाएं सुधारी जाएं।
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
अब तक स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न ही पुलिस विभाग की तरफ से किसी जांच की घोषणा की गई है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद होने के बावजूद इस तरह की अव्यवस्था और गंभीर आरोप राज्य सरकार के महिला सुरक्षा दावों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
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गोरखपुर की यह घटना यह बताती है कि महिला सुरक्षा और गरिमा सिर्फ भाषणों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। जिन महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए ट्रेन किया जा रहा है, अगर वहीं असुरक्षित महसूस करें, तो यह पूरे सिस्टम पर सवाल है।अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री योगी और यूपी प्रशासन इस पर क्या ठोस कदम उठाते हैं।