जुबिली न्यूज़ डेस्क
तमिलनाडु के कुड्डलोर में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने मानवता को शर्मशार कर दिया। जी हां दरअसल यहां पर पंचायत की बैठक हो रही थी इस बैठक में शामिल होने आए लोगों के लिए कुर्सी की व्यवस्था की गई थी। लेकिन एक महिला ऐसी थी जिसको कुर्सी नहीं दी गई। उस महिला का कसूर सिर्फ इतना था कि वो दलित थी।
इसके बाद इस बैठक का वीडियो आसपास के इलाकों में वायरल हो गया। वीडियो वायरल होने के बाद सीपीएम पार्टी ने पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करवा दी। इसके बाद पुलिस अब इस मामले की जांच में जुट गई है।फ़िलहाल पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो दिखाई दे रहा है कि बैठक में शामिल होने आए सभी लोगों को कुर्सी दी गई है। लेकिन पिछड़ी जाति की महिला को पंचायत अध्यक्ष ने फर्श पर बैठने को कहा, जबकि वहां पर कई कुर्सियां खाली थीं। इसके बाद सीपीएम ने पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई।
गौरतलब है कि 20 मार्च 2018 को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के हो रहे दुरुपयोग के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम के तहत मिलने वाली शिकायत पर खुद ही एफआईआर और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
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इसके बाद संसद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए कानून में संशोधन किया गया था। इसे भी इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। अब पहले के अनुसार एफआईआर दर्ज करने से पहले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों या नियुक्ति प्राधिकरण से अनुमति जरूरी नहीं होगी।
बता दें कि एससी/एसटी एक्ट के मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है। न्यायालय असाधारण परिस्थितियों में एफआईआर को रद्द कर सकते हैं।
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