जुबिली स्पेशल डेस्क
आरा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजद के तेजस्वी यादव और भाकपा-माले के दीपांकर भट्टाचार्य की वोटर अधिकार यात्रा शनिवार को आरा में रैली के साथ समाप्त हो गई। यह यात्रा 14 दिनों तक चली और बिहार के 22 जिलों से होकर गुजरी। अब इसका अंतिम चरण 1 सितंबर को पटना में पदयात्रा के रूप में होगा।
भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर अभियान
यह यात्रा पूरी तरह से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के तर्ज पर आयोजित की गई थी। राहुल गांधी और अन्य नेता रोज़ नए शहर में डेरा डालते, स्कूल या बड़े परिसर में रुकते और फिर अगले दिन आगे बढ़ जाते।
विपक्षी नेताओं की एकजुटता
इस दौरान कांग्रेस के तीनों मुख्यमंत्री, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी यात्रा में शामिल हुए। इसका मकसद बिहार में इंडिया गठबंधन की एकजुटता दिखाना और कार्यकर्ताओं को ऊर्जा देना था।
कांग्रेस की सक्रियता पहली बार दिखी
विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय बाद कांग्रेस ने बिहार में इतनी गंभीरता दिखाई है। पार्टी का पूरा शीर्ष नेतृत्व दो हफ्ते तक राज्य में डटा रहा। चर्चा है कि इस बार कांग्रेस लगभग 55 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।
भीड़ से वोट तक का सफर
यात्रा में भारी भीड़ जुटी और कार्यकर्ताओं का उत्साह भी दिखा। राजद और माले के साथ-साथ कांग्रेस कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतरे। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या यह भीड़ वोट में तब्दील हो पाएगी? और क्या SIR का मुद्दा चुनाव तक जिंदा रह पाएगा?
पटना में दिखेगी अंतिम ताकत
1 सितंबर को पटना में होने वाली पदयात्रा में कांग्रेस के सभी बड़े नेता और कई राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे। फिलहाल इतना तो साफ है कि लंबे समय बाद बिहार की राजनीति में कांग्रेस ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।