न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी ने दुनिया की रफ़्तार को थाम दिया है। विश्व त्रासदी के इस दौर में भारत ने कोरोना से जंग लड़ने की तैयारी कर ली है। सम्पूर्ण देश में लॉक डाउन कर दिया गया है। पीएम मोदी ने इस लॉक डाउन को एक तरह का कर्फ्यू करार दिया है। लेकिन एकबार फिर मोदी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
लाखो लोग सड़कों पर जमा हैं। कई लोग भूखे प्यासे अपने बच्चों को लेकर अपने घरों की ओर पैदल चल दिए हैं। ये वो लोग हैं जिन्हें उनके मालिकों और मकान मालिकों ने शरण देने से मना कर दिया है।
विपक्षी नेताओं से लेकर आम लोग इनकी इस हालत के लिए सरकार को निशाने पर लिए हैं। लोगों का कहना है कि सरकार को लॉक डाउन से पहले सही से प्लानिंग करनी चाहिए थी। सवाल उठ रहे हैं कि क्या फिर से केंद्र सरकार ने बिना किसी प्लानिंग के नोट बंदी की तरह ही लॉक डाउन का फैसला ले लिया है ?

गाँव पहुँचने पर नहीं हो रही जांच
मैं इस समय हमीरपुर जनपद के एक गाँव में ठहरा हुआ हूँ। यहाँ आसपास के गाँवों में कई लोग पैदल चलकर या किसी तरीके से गाँव पहुँच रहे हैं। जो लोग आ रहे हैं उनकी किसी प्रकार की जांच नहीं हो रही। हालाँकि इन लोगों की जानकारी प्रशासन तक पहुंचाई जाइ रही है। ऐसा ही हाल उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों का भी है।
सवाल ये उठता है कि जो लोग बाहर से आ रहे हैं यदि उनमें से कोई कोरोना संक्रमित हुआ तो शायद उसका परिवार, मोहल्ला, गाँव और फिर पूरा जिला भी इस महामारी की चपेट में आ जाएगा। जो कि अब तक सुरक्षित है। ऐसे में देशव्यापी लॉक डाउन का कोई अर्थ नही रह जाता।
बाहर से आने वालों को स्कूल आदि में रोकने की हो व्यवस्था
इस सम्बन्ध में ग्रामीण लोगों का कहना है कि जो लोग बाहर से आ रहे हैं। सरकार को उन्हें किसी स्कूल में रोक कर जांच करवानी चाहिए। इस समय स्कूल बंद है ऐसे में उन्हें कॉरेन्टाईन सेंटर में तब्दील कर देना चाहिए। इससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
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