जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में बेहद कम दिन है। राजनीतिक दल इस वक्त मैदान में उतरकर जनता के बीच जाकर चुनाव जीतने के लिए पसीना बहा रहे हैं।
कांग्रेस और बीजेपी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं लेकिन फैसला तो जनता को करना है। इस बीच नेताओं का पाला बदलने का खेल भी खूब चल रहा है। कई नेता मौका देखकर अपने सियासी फायदे के लिए इधर से उधर जाते हुए नजर आ रहे हैं।

बीजेपी से लेकर कांग्रेस के साथ-साथ छोटे दलों में यही हाल है। इस बीच कल कांग्रेस को तीन बड़े झटके लगे हैं क्योंकि तीन नेताओं ने कांग्रेस से अपना हाथ खींच लिया और फिर कमल का फूल थामने में देर भी नहीं की। उनमें बॉक्सर विजेंदर सिंह, गौरव वल्लभ और संजय निरुपम शामिल हैं।
ये वही नेता हैं जो दिन रात मोदी सरकार को निशाने पर लेते थे और अब कमल का फूल अपने हाथ में थाम चुके हैं। इतना ही नहीं अब इन नेताओं का सुर भी बदल गया है और बीजेपी की तारीफ करते हुए नजर आ रहे हैं।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इन नेताओं का जाना कांग्रेस के लिए कितना बड़ा नुकसान है। सवाल ये भी इन नेताओं की जनता के बीच कितनी लोकप्रियता थी।
अगर तीन नेताओं के राजनीतिक करियर पर नजर दौड़ायी जाये तो इन नेताओं कोई बड़ा जनाधार नहीं है। पिछले चुनाव में तीनों का हार का मुंह देखना पड़ा था।
विजेंदर जहां हरियाणा से तो गौरव वल्लभ राजस्थान तो वहीं निरुपम महाराष्ट्र से आते हैं। तीनों नेताओं को पिछले कुछ चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है।
तीनों ने अब पाला बदल लिया है और बीजेपी के साथ जाकर मोदी लहर में जीत हासिल करने का सपना जरूर देख रहे हैं लेकिन फिलहाल कांग्रेस को कोई खास नुकसान नहीं हुआ है। हालांकि कांग्रेस के लिए ये झटके से कम नहीं है क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले पाला बदलना किसी भी पार्टी के लिए अच्छी नहीं होता है।
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