जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधीन आने वाले वाणिज्यकर विभाग में रुके असिस्टेन्ट कमिश्नर से डिप्टी कमिश्नर के प्रमोशन प्रकरण में प्रमोटी अधिकारियों के सबसे बड़े संगठन वाणिज्यकर अधिकारी सेवा संघ के अध्यक्ष सुनील वर्मा ने तल्ख तेवर कर लिए हैं। यूनियन के अधिकारी अब सीएम से मिलेंगे।
वाणिज्कर अधिकारी सेवा संघ सीएम से मिलकर लगाएगा गुहार, कमिश्नर से मिलकर सुनायी व्यथा, कैडर पुनर्गठन की रिपोर्ट में कमिश्नर ने दखल देने से किया साफ इंनकार
कमिश्नर वाणिज्यकर अमृता सोनी से लगातार तीन दिन तक वार्ता का समय न मिल पाने के बाद उनके सदस्यों में आक्रोश फैल गया। इसके बाद कमिश्नर शुक्रवार की शाम उनकी मुलाकात हुई। जिसमें कमिश्नर ने उनकी बातों को ध्यान से सुना।
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जिसमें दो बिन्दु प्रमुख थे पहला ये कि कमिश्नर कार्यालय के स्थापना अनुभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा जनबूझकर असिस्टेन्ट कमिश्नर से डिप्टी कमिश्नर बनने की प्रतीक्षा में बैठे अधिकारियों का प्रमोशन रोका जा रहा है और दूसरा जीएसटी एक्ट के मुताबिक कैडर पुनर्गठन की जो रिपोर्ट आईआईएम से आयी थी।
मुख्यालय स्तर पर अध्ययन के नाम पर कुछ बदलाव किये गये हैं। कमिश्नर ने प्रमोशन के मुद्दे पर कहा कि वे इस मामले को खुद देखेंगी और शासन स्तर पर भी जो दिक्कतें आ रही हैं, उसको दूर करने के लिए मध्यस्ता करेंगी। वही कैडर पुनर्गठन व आईआईएम की रिपोर्ट के विवाद के मामले में कमिश्नर का कहना है कि अब ये मामला शासन के पास है और शासन को इस पर फैसला करना है।
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कमिश्नर का व्यक्तिगत मानना है कि रिपोर्ट में सभी पहलूओं पर गौर करते हुए सभी पक्षों की राय को शामिल किया गया है। अब इसे शासन लागू करेगा। शासन का जो भी फैसला हो उसे सभी संघों को स्वीकार करना चाहिए। कुल मिलकर कमिश्नर से सभी संघों को ये बता दिया है कि कैडर पुनर्गठन का मामला अब उनके स्तर का नहीं है।
वाणिज्यकर अधिकारी सेवा संघ के अध्यक्ष सुनील वर्मा ने अब सीधे हाई कमान यानी सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने का समय मांगा है। वे उनसे मिलकर विभागीय राजनीति के चलते प्रमोशन में अड़गा डालने वाले अधिकारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दें।
कानपुर के कई सचल दल अधिकारियों द्वारा दिल्ली के सबसे बड़े टैक्स माफिया आनंद छाबड़ा मामले की शिकायत सीएम कार्यालय में पहुंच चुकी है, उसमें अचानक संघ के अध्यक्ष के इस तेवर से विभाग में हड़कम्प मच गया है।
क्योंकि कानपुर के एडीशनल कमिश्नर व ज्वाइट कमिश्नर द्वारा अकेले टैक्स पान मसाला के टैक्स माफियाओं की धर पकड़ के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं। वो तब तक बेकार हैं जब तक सचल दल की इकाईयों में तैनात अधिकारी पूर्ण सहयोग नहीं करेगें। ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि पूर्व एडीशनल कमिश्नर केशवलाल के कार्यकाल में भी कुछ ऐसा ही महौल बना था।
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