जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने भी लव जिहाद कानून को पास कर दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई। अब इसे राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद फिर यह कानून की शक्ल ले लेगा।
लोभ, लालच, भय, प्रलोभन देकर या कुत्सित इरादों से विवाह करना अथवा धर्मांतरण करवाना संज्ञेय अपराध है।
अधिनियम विरुद्ध सामूहिक धर्म परिवर्तन किये जाने पर 5 से 10 वर्ष का कारावास और एक लाख रुपये तक का अर्थदण्ड की सजा होगी। pic.twitter.com/NuNCE3X9Zq
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 29, 2020
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 विधानसभा के शीतकालीन सत्र स्थगित होने के कारण अब इसे अध्यादेश के जरिए कानून के रूप में लागू किया जाएगा।

गौरतलब है कि इससे पहले शिवराज सरकार विधानसभा सत्र में धर्म स्वातंत्र्य बिल को पारित करने वाली थी, लेकिन कोरोना के चलते विधानसभा सत्र स्थगित हो गया। इसलिए अब सरकार धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश ले आई। इस अध्यादेश को राज्यपाल से मंजूरी के बाद 6 महीने के अंदर विधानसभा से पारित कराना पड़ेगा। धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश में 19 प्रावधान हैं। अध्यादेश जारी होने के बाद संबंधित कानून राज्य में तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएंगे।

राज्य सरकार ने धर्म परिवर्तन और लवजिहाद रोकने के लिए संबंधित विधेयक में सख्त प्रावधान किए हैं। इसके लागू होने के बाद कोई भी व्यक्ति दूसरे को प्रलोभन, धमकी, बल, दुष्प्रभाव, विवाह के नाम पर अथवा अन्य कपटपूर्ण तरीके से प्रत्यक्ष अथवा अन्य तरीके से उसका धर्म परिवर्तन या धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं कर सकेगा। कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन किए जाने का दुष्प्रेरण अथवा षड़यंत्र नहीं कर सकेगा।
किसी भी व्यक्ति के द्वारा इससे संबंधित अधिनियम का उल्लंघन करने पर एक साल से पांच साल तक के कारावास और 25 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा। नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति, जनजाति के मामले में दो से दस साल तक का कारावास और कम से कम 50 हजार रुपए का अर्थदंड लगाने का प्रावधान है।
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अपना धर्म छिपाकर (लवजिहाद) धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम का उल्लंघन करने पर तीन साल से दस साल तक के कारावास और 50 हजार रुपए अर्थदंड और सामूहिक धर्म परिवर्तन (दो या अधिक व्यक्ति का) का प्रयास करने पर 5 से 10 वर्ष के कारावास और एक लाख रुपए के अर्थदंड का प्रावधान किया गया है।

नए कानून में धर्म संपरिवर्तन (लवजिहाद) के आशय से किया गया विवाह शून्य घोषित करने के साथ महिला और उसके बच्चों के भरण पोषण का हकदार करने का प्रावधान भी किया गया है। ऐसे विवाह से जन्मे बच्चे माता-पिता की संपत्ति के उत्तराधिकारी होंगे। धर्मांतरण के लिए होने वाली शादियों पर रोक लगाने के लिए प्रस्तावित धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम को कठोर बनाने के साथ कुछ ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जो देश के किसी भी राज्य में अब तक नहीं हैं।
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धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम का उल्लंघन करने वाली संस्था और संगठन को भी अपराधी के समान सजा मिलेगी। धर्मांतरण नहीं किया गया है, यह आरोपी को ही साबित करना होगा। अपराध को संज्ञेय और गैर जमानती बनाने के साथ उप पुलिस निरीक्षक से कम श्रेणी का अधिकारी इसकी जांच नहीं कर सकेगा।
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