
पॉलिटिकल डेस्क
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शिक्षाकर्मियों द्वारा बैनर दिखाना रास नहीं आया। नीतीश अपनी संयमित भाषा के लिए जाने जाते हैं लेकिन चुनाव का दबाव उन पर इतना हावी हो गया है कि वह जनता का विरोध बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार चरम पर है और इस दौरान आरोप-प्रत्यारोप और भाषाई मर्यादाओं का जमकर उल्लंघन हो रहा है। कुछ ऐसा ही हुआ है हमेशा अपनी भाषा पर संयम रखने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ।
मुंगेर संसदीय क्षेत्र के लखीसराय विधानसभा अंतर्गत हलसी प्रखंड मुख्यालय में 23 अप्रैल को जनसभा में चुनाव प्रचार के दौरान सीएम नीतीश कुमार भी अपने ग़ुस्से पर संयम नहीं रख सके और सभा में शिक्षाकर्मियों को जमकर खरी-खोटी सुना डाली।
जब नीतीश कुमार प्रचार करने पहुंचे तो शिक्षाकर्मियों ने अपनी मांगो के समर्थन में पोस्टर-बैनर दिखाकर उनका ध्यान आकर्षित करना चाहा, इस पर नीतीश कुमार मंच से ही उन प्रदर्शनकारियों पर जमकर बरस पड़े।
उन्होंने प्रदर्शनकारियों से कहा कि ‘ये वित्त रहित शिक्षा नीति वाला बैनर और पोस्टर दिखाना है तो कल कांग्रेसिया सब आएगा उसको दिखाना। समझ गए ना, ये सब मेरे टाइम की चीज नहीं है।’ इतना ही नहीं नीतीश ने फिर कहा आप सबको क ख ग का ज्ञान नहीं है और बिना मतलब का यहां पोस्टर लेकर आ गए हैं। वित्त रहित क्या है जानते भी हैं आप? मैं यहां बात सुनने आया हूं या काम करने आया हूं और भूल गए हो कि 10 साल पहले भी हम यहां पर आए थे और रात भर रुके थे।
नीतीश कुमार ने चेतावनी देते हुए कहा कि चुनाव के टाइम में ये सब दिखाया जाता है क्या? ये चुनाव का विषय है क्या? बढिय़ा से टांगे हो और सब फ़ोटो लिया है, छापेगा उससे क्या कल्याण हो जाएगा? ये सब बातें बंद कीजिए, मेरे लिए इन सबका कोई मतलब नहीं है। हम जानते हैं कि ये सब प्लानिंग के तहत हो रहा है और ये भी जानते हैं कि क्यों किया जा रहा है?
सीएम ने कहा कि इन सब चीजों का कोई महत्व नहीं है। जब बिना किसी के कुछ दिखाए-बताए हमने बिहार में जितना कुछ काम किया वो न तो पति-पत्नि के शासन में हुआ और न किसी और ने ही किया है।
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