Friday - 20 June 2025 - 3:45 PM

इजरायल-ईरान युद्ध में चीन की चुपचाप एंट्री? रडार से गायब हुए चीन के कार्गो विमान

जुबिली न्यूज डेस्क 

नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध में अब चीन की चुपचाप एंट्री की आशंका जताई जा रही है। बीते कुछ दिनों में चीन के तीन से अधिक बोइंग 747 कार्गो प्लेन ईरान की एयरस्पेस में देखे गए, जबकि ईरान की एयरस्पेस युद्ध के कारण आम विमानों के लिए बंद है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये विमान मिड-एयर ट्रांसपोंडर और सभी सेंसर बंद करके ईरान में दाखिल हुए, जिससे इनकी गतिविधि पर सवाल खड़े हो गए हैं।

विमानों की रूटिंग में दिखी गड़बड़ी

FlightRadar24 के डेटा के मुताबिक, इन कार्गो विमानों ने शंघाई और चीन के अन्य उत्तरी इलाकों से उड़ान भरी थी और शुरुआती जानकारी के अनुसार, उनका रूट लग्जमबर्ग बताया गया था। लेकिन ये विमान कभी यूरोपीय हवाई क्षेत्र में दाखिल नहीं हुए। इसके बजाय ये कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान होते हुए सीधे ईरान की सीमा तक पहुंचे, और वहां रडार से गायब हो गए।

सैन्य उपकरण ले जाने की आशंका

इन विमानों का ट्रांसपोंडर बंद होना और युद्ध के दौरान ईरान की बंद एयरस्पेस में दाखिल होना यह संकेत देता है कि ये कोई सामान्य कार्गो विमान नहीं थे। विश्लेषकों का मानना है कि इसमें हथियार, एयर डिफेंस सिस्टम या अन्य सामरिक उपकरण हो सकते हैं। हालांकि चीन या ईरान की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।

रूस ने दी अमेरिका को चेतावनी

इस बीच रूस भी खुलकर ईरान के पक्ष में आता दिख रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि अमेरिका इस युद्ध में कूदता है, तो रूस और चीन दोनों ईरान का साथ देंगे। पुतिन का यह बयान युद्ध को और भड़काने वाला माना जा रहा है।

चीन-ईरान के बीच है 25 साल का रणनीतिक समझौता

गौरतलब है कि साल 2021 में चीन और ईरान के बीच 25 साल का रणनीतिक साझेदारी समझौता हुआ था। इसके तहत चीन ने ईरान में 400 अरब डॉलर के निवेश की बात की थी। इसके बदले में ईरान ने डिस्काउंट पर तेल और गैस देने का वादा किया था। साथ ही दोनों देशों के बीच साइबर सुरक्षा, सैन्य तकनीक और इंटेलिजेंस साझेदारी पर भी सहमति बनी थी।

चीन ले रहा है प्रतिबंधित तेल, दे रहा है सैन्य मदद?

अमेरिकी थिंक टैंक हेरिटेज फाउंडेशन के नेशनल डिफेंस सेंटर के डायरेक्टर रॉबर्ट ग्रीनवे के मुताबिक, चीन ईरान से प्रतिबंधित सस्ता तेल खरीदता है और बदले में उसे तकनीकी व सैन्य समर्थन देता है। उनका कहना है कि ईरान के साथ चीन की ये गतिविधियां युद्ध को नया मोड़ दे सकती हैं।

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क्या युद्ध में नया मोर्चा खुलेगा?

अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या चीन इस युद्ध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो चुका है? क्या इजरायल को अब तीन देशों के गठजोड़ (ईरान-चीन-रूस) से लड़ना होगा? इस पर फिलहाल कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन मौजूदा संकेतों से तनाव और बढ़ने के आसार जरूर बनते नजर आ रहे हैं।

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