जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। आस्था का महापर्व छठ पूजा 2025 (Chhath Puja 2025) शनिवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, नेपाल समेत दुनियाभर में बसे भारतीयों द्वारा श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।

PM मोदी ने X पर साझा किया संदेश
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (Twitter) पर लिखा,“नहाय-खाय के पावन अनुष्ठान के साथ आज से चार दिवसीय महापर्व छठ का शुभारंभ हो रहा है। बिहार सहित देशभर के श्रद्धालुओं को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं, सभी व्रतियों को मेरा नमन और वंदन!”
उन्होंने आगे लिखा कि,“हमारी संस्कृति का यह विराट उत्सव सादगी और संयम का प्रतीक है, जिसकी पवित्रता और नियम-निष्ठा अतुलनीय है। छठ के घाटों पर जो दृश्य दिखाई देता है, उसमें पारिवारिक और सामाजिक सद्भाव की अद्भुत प्रेरणा होती है।”
छठ महापर्व: आस्था, उपासना और प्रकृति प्रेम का संगम
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि,“छठ महापर्व आस्था, उपासना और प्रकृति प्रेम का एक अनूठा संगम है। इसमें अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। प्रसाद में प्रकृति के विविध रंग समाहित होते हैं। छठ पूजा के गीतों और धुनों में भक्ति और प्रकृति का अद्भुत भाव झलकता है।”
उन्होंने कहा कि आज छठ पूजा न केवल बिहार या उत्तर प्रदेश में, बल्कि विश्वभर में रहने वाले भारतवंशियों द्वारा संस्कृति के महाउत्सव के रूप में मनाई जाती है।“मेरी कामना है कि छठी मइया सबको अपना भरपूर आशीर्वाद दें,” पीएम मोदी ने लिखा।
शारदा सिन्हा को किया याद, छठ गीतों की परंपरा का किया उल्लेख
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें हाल ही में बेगूसराय जाने का अवसर मिला, जो बिहार कोकिला शारदा सिन्हा का गृह जिला है।“शारदा सिन्हा जी और बिहार के कई लोक कलाकारों ने अपने गीतों से छठ उत्सव को एक अलग भाव दिया है। आज इस महापर्व पर मैं आप सभी के साथ छठी मइया के उन गीतों को साझा कर रहा हूं, जिन्हें सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाएगा।”
छठ पूजा 2025 की तिथि और पर्व क्रम
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नहाय-खाय – 25 अक्टूबर (शनिवार)
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खरना – 26 अक्टूबर (रविवार)
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संध्या अर्घ्य – 27 अक्टूबर (सोमवार)
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प्रातः अर्घ्य (उदयमान सूर्य को अर्घ्य) – 28 अक्टूबर (मंगलवार)
छठ पूजा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का प्रतीक है जो आस्था, सादगी और प्रकृति प्रेम का संदेश देती है। प्रधानमंत्री मोदी का संदेश इस बात को और मजबूत करता है कि यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का, बल्कि सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक है।
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