जुबिली स्पेशल डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 10 साल पुरानी डीज़ल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को लेकर अपने पहले के आदेश में आंशिक बदलाव किया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि एंड ऑफ लाइफ (EOL) वाहनों के खिलाफ कार्रवाई से राहत केवल BS-IV और BS-VI एमिशन नॉर्म्स का पालन करने वाली गाड़ियों को ही मिलेगी। BS-III और उससे पुराने इंजन वाली गाड़ियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची और विपुल एम. पंचोली की पीठ ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) की याचिका पर सुनाया।
BS-III और उससे पुरानी गाड़ियां कार्रवाई के दायरे में
अदालत ने कहा कि यदि कोई वाहन 15 साल से अधिक पुराना पेट्रोल या 10 साल से अधिक पुराना डीज़ल है और वह BS-IV या BS-VI मानकों का पालन करता है, तो उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, BS-III और उससे पहले के एमिशन स्टैंडर्ड वाली गाड़ियां इस राहत के दायरे में नहीं आएंगी।

इस फैसले से आंकड़ों के मुताबिक
- 14.7 लाख से अधिक BS-I वाहन,
- 38.7 लाख से अधिक BS-II वाहन,
- और 53.7 लाख से अधिक BS-III वाहन
- प्रभावित होंगे। इनमें कारें, दोपहिया, तिपहिया, बसें और माल ढोने वाले वाहन शामिल हैं।
पहले क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को दिए गए आदेश में कहा था कि 10 साल से पुरानी डीज़ल और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के खिलाफ जबरन कार्रवाई न की जाए। हालांकि, मौजूदा वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति को देखते हुए अब अदालत ने BS-IV से पहले की गाड़ियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दे दी है।
दिल्ली सरकार का पक्ष
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि फिलहाल BS-VI से नीचे की गाड़ियों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं है। उन्होंने बताया कि बिना वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र (PUC) के वाहन को ईंधन भी नहीं दिया जाएगा। वहीं, दिल्ली में रजिस्टर्ड BS-IV डीज़ल गाड़ियों पर रोक नहीं लगाई जाएगी, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आगे की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा।
CAQM ने क्यों मांगी सख्ती
CAQM ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि BS-III और उससे पुराने इंजन वाली गाड़ियां प्रदूषण में बड़ा योगदान देती हैं और उन्हें किसी तरह की छूट नहीं मिलनी चाहिए। आयोग के अनुसार, दिल्ली-NCR में पंजीकृत करीब 2.88 करोड़ वाहनों में से 93% हल्के मोटर वाहन हैं और इनमें से करीब 37% BS-III या उससे पुराने इंजन पर चलते हैं।
CAQM द्वारा पेश आंकड़ों के मुताबिक, ये पुराने वाहन
- 2.5 से 31 गुना ज्यादा पार्टिकुलेट मैटर,
- 6.25 से 12 गुना ज्यादा नाइट्रोजन ऑक्साइड,
- और 1.28 से 5.4 गुना ज्यादा कार्बन मोनोऑक्साइड
का उत्सर्जन करते हैं।
इस मामले में अदालत में एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने भी बताया कि BS-IV मानक वर्ष 2010 में लागू हुए थे, जबकि BS-III मॉडल उससे पहले के हैं।
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