Wednesday - 10 January 2024 - 1:17 AM

चंद्रशेखर जो गैर कांग्रेसी होने के बावजूद संघ द्वारा इस्तेमाल नहीं हो पाए

शाहनवाज़ आलम

चंद्रशेखर जी जब प्रधानमंत्री बने तब हम 10 साल के थे. यानी चीज़ों को दृश्य के स्तर पर समझने की उम्र में दाख़िल हो ही रहे थे. अगले देढ़ दशक तक हमारी तरह बलिया के बहुत सारे लोगों के चेतन-अवचेतन को प्रभावित-परिभाषित उन्होंने ही किया.

उस दौर की स्मृतियों में सबसे ज़्यादा जो तस्वीर उभरती है वो चित्तू पांडे चौराहे से रेलवे स्टेशन तक टीवी की दुकानों के बाहर संसद के अंदर उनके भाषणों को सुनने के लिए उमड़ी भीड़ की होती है. पूरा सन्नाटा छाया रहता था.

ये वैचारिक पक्षधरता की राजनीति का निर्णायक दौर था. इसके बाद भारत को बदल जाना था. संसदीय बहसों में नेहरू के भारत की परिकल्पना को बचाने में जिन गैर कांग्रेसी नेताओं ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया उनमें चंद्रशेखर अग्रणी थे. और वो ही अंत तक इस प्रतिबद्धता पर टिके भी रहे. यहाँ तक कि अटल बिहारी वाजपेयी की अपने एक वोट से सरकार गिरा कर इस प्रतिबद्धता को साबित भी किया.

वहीं तब लोकतंत्र, समाजवादी और धर्म निरपेक्षता के पक्ष में रेकॉर्ड तोड़ लम्बे-लम्बे भाषण देने वाले रामविलास पासवान, जार्ज फर्नांडिज, शरद यादव, चौधरी अजीत सिंह जैसे लोग इस निर्णायक दौर के बाद धीरे- धीरे भारत की नेहरुवादी परिकल्पना के विरोधी खेमे में चले गए.

इसकी वजह शायद यह रही कि बाकी लोगों के उलट चंद्रशेखर जी की राजनीति का वैचारिक आधार गैर कांग्रेसवाद जैसी भ्रामक और हल्की बुनियाद पर नहीं टिका था. और इसीलिए वो इस धारा की एक और ज़रूरी अवगुँण व्यक्तिवाद से भी दूर थे. जो बाकियों में कूट-कूट कर भरा था. दरअसल व्यक्तिवाद लोहियावादी नेताओं की मुख्य संचालक शक्ति रही है.

ये भी चंद्रशेखर जी जैसी वैचारिक स्पष्टता रखने वाले के ही बूते की बात हो सकती थी कि खुद लोहिया जी के अंदर व्यक्तिवाद की इस कमज़ोरी को भी उनके जीते जी उन्होंने ही चिंहित की थी. वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को दिये साक्षातकार (रहबरी के सवाल, चंद्रशेखर के साक्षातकारों पर आधारित पुस्तक) में उन्होंने लोहिया जी का साथ छोड़ने की वजह लोहिया का व्यक्तिवाद ही बताया था और पहले ही अंदेशा ज़ाहिर कर दिया था कि प्रजा सोशलिस्ट पार्टी जिसके मुखिया खुद लोहिया जी थे अपनी पार्टी को खुद ही इस व्यक्तिवाद के कारण छोड़ देंगे या समाप्त कर देंगे.

ये भी पढ़े:  रेमडेसिविर इंजेक्शन के जमाखोरों के खिलाफ लगा एनएसए

ये भी पढ़े:  कोरोना नियमों का पालन करने के सवाल पर शाह ने क्या कहा?

दरअसल लोहिया जी की अतार्किक और कुंठा की हद तक की नेहरू विरोध की नकारात्मक राजनीति जो गैर कांग्रेसवाद की आड़ में चलाई गयी उसका हिस्सा होने के बावजूद चंद्रशेखर जी अपनी इसी वैचारिक ताकत के कारण कभी उसके शिकार नहीं हुए. यहाँ तक कि बागी बलिया के ही गैर कांग्रेसवाद के एक और बड़े नेता जय प्रकाश नारायण जी के नेतृत्व में उस दौर में कांग्रेस के खिलाफ़ राजनीति करने के बावजूद भी. जबकि लालू को छोड़ जेपी के बाकी चले संघम शरणम् हो गए.

चंद्रशेखर जी का यही वैचारिक संस्कार उनसे अपने ही 75 वें जन्मदिन पर 17 अप्रैल 2002 को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से गुजरात के मुसलमानों के जनसंहार के वक़्त देश के प्रधानमंत्री के बजाए संघ के प्रधानमंत्री की तरह व्यवहार करने और अपना राजधर्म नहीं निभा पाने के कारण इस्तीफ़ा मंगवाता है. अपने सार्वजनिक मूल्यों की रक्षा के लिए निजी अवसरों पर भी इस तेवर से कोई डटा रहे, ऐसा इस देश ने कितनी बार देखा है.

इसीलिए हम देखते हैं कि जिस ग़ैर कांग्रेसवाद को समाजवादी धारा का नाम दिया गया उसमें सिर्फ़ एक चंद्रशेखर जी ही रहे जिनका जीते जी कभी दूर-दूर तक इस्तेमाल संघ-जनसंघ-भाजपा नहीं कर पाई. उनके साथ आप सिर्फ़ मधु लिमये, मधु दंडवते, रबी राय, किशन पटनायक, सुरेंद्र मोहन का ही नाम ले सकते हैं.

ये भी पढ़े:  ये हैं कोरोना के 5 लक्षण, फौरन करे अस्पताल का रुख

ये भी पढ़े:  UP के स्वास्थ्य मंत्री ने भी माना बेड की है कमी

क्या ये महज इत्तेफाक है कि समाजवादी धारा से जुड़े ये तमाम नाम जो कांग्रेस के विरोधी होते हुए भी संघ के हाथों कभी इस्तेमाल नहीं हुए अपने मूल में नेहरू के भारत की परिकल्पना (Idea of India) में अटूट आस्था रखने वाले थे. दूसरे शब्दों में, संघ के नज़र में भी संघ के हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करने में वही गैर भाजपाई नेता और दल इस्तेमाल हो सकते हैं जो अपने मूल में नेहरू के भारत की परिकल्पना के विरोधी हों.

खैर, आज चंद्रशेखर जी के न रहने पर जैसी दुर्गति उनकी हो रही है वो एक ट्रैजेडी लगती है.  उनके अपने बेटे अब उसी भाजपा में हैं जिसका विरोध वो ज़िंदगी भर करते रहे. आजमगढ़ के एक टुटपूंजिया छात्र नेता उनके नाम पर एक ट्रस्ट बना रखे हैं और उसी आधार पर पहले सपा से
एमएलसी हुए और अब भाजपा से हैं.

ये भी पढ़े: ममता बनर्जी अब कोलकाता में नहीं करेंगी प्रचार 

ये भी पढ़े: हे सरकार!आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है 

चंद्रशेखर जी के एक क़रीबी पत्रकार द्वारा संकलित उनके भाषणों को चुरा कर अपने द्वारा संपादित किताब के बतौर छपवा के योगी जी से विमोचन करा चुके हैं.  मुख्यमंत्री जो ठाकुर जाति से आते हैं उन्हें अपनी जाति का नेता साबित करने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं.

उनके अपने ज़िला-जवार के भाजपा से जुड़े ठाकुर लड़के बैनरों पर उनको भगवा में लपेट चुके हैं.जबकि इस जमात के वो तमाम लड़के जो मेरे साथ स्कूल में पढ़ते थे उनके भाजपा विरोधी होने के कारण उनके विरोधी होते थे.

कई बार अपने छत से उनके घर (जब तक चंद्रशेखर जी सक्रिय रहे बलिया के चंद्रशेखरनगर स्थित उनका घर बतौर झोपड़ी ही जाना जाता था. जो फूस और नारंगी रंग की ट्राली से छाई गयी थी.अब उनके बेटे ने उसे एक आलिशान मकान में तब्दील कर दिया है) पर फहराते भगवा झंडे को देखता हूँ तो उसे लगाने वाले पर गुस्से से ज़्यादा दया आती है.

ये भी पढ़े: महाराष्ट्र में हर तीन मिनट में कोरोना का एक मरीज गवां रहा है जान 

ये भी पढ़े:कुंभ से लौटने वालो को 14 दिन रहना होगा होम क्वारनटीन

ये भी पढ़े: कोरोना ने मचाई तबाही, एक दिन में ढाई लाख पार नए केस, रिकॉर्ड मौत से हड़कंप

सोचता हूँ, एक मात्र ऐसे प्रधानमंत्री जो आज भी जनमानस में अपनी छवि विपक्ष के नेता की ही रखते हों उनके घर पर सत्ताधारी दल का झंडा लगा कर क्या उनको कोई अपने समीकरण में फिट कर सकता है?

चंद्रशेखर न व्यक्ति थे न विचार थे. जो कहीं थक कर रुक जाएं या कुंद पड़ जाएं. वो हमारे संवैधानिक मूल्यों के रास्ते पर निरंतर चलते रहने वाले एक महान यात्री थे. देश और समाज ऐसी ही यात्राओं से बनते और संवरते हैं. चंद्रशेखर चलते रहने को प्रेरित करते हैं. जड़ लोगों के वारिस परिजन होते हैं चलते रहने वालों के वारिस चलते रहने वाले होते हैं. मैं ऐसे हज़ारों यात्रियों को जानता हूँ जो इस रास्ते पर निरंतर चल रहे हैं और चलने को तय्यार हो रहे हैं. सबसे अहम कि इनमें से अधिकतर ऐसे हैं जो चंद्रशेखर को नहीं जानते और न जानना ही चाहते हैं और कुछ तो सबके चितरंजन भाई जैसे भी हैं जो उनके चहेते तो थे लेकिन उनकी मानते नहीं थे. लेकिन चल सब रहे हैं उसी महान यात्रा पर- निर्भीक, निडर. तेवर के साथ. चंद्रशेखर की तरह.

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com