हेमेन्द्र त्रिपाठी
भारतीय जनता पार्टी लगातर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को दीवाल की तरफ धकेलती जा रही है। पहले वर्ष 2017 में चुनाव में बुरी तरह हराकर उनकी सत्ता छीन ली और उनके द्वारा बनवाए गये तमाम प्रोजेक्ट्स पर सीबीआई बैठा दी। फिर भाजपा को लगा की पराजित राजा अभी भी महल में क्यों रह रहा है।
इसीलिए विक्रमादित्य मार्ग स्थित उनका बंगला खाली करा लिया। और तो और उनपर बंगले के नलों की तमाम टोटियां चुरा लेने का आरोप लगाकर उन्हें टोंटी चोर बना दिया।
चलिए अबभी तक उनके पास सत्ता की हनक व रुतबा दिखाने के लिए जेड प्लस सुरक्षा बनी हुई थी तो उसे भी छीनकर उन्हें सामान्य नेता बना दिया गया। हालाँकि, उनके पिता मुलायम सिंह और बसपा प्रमुख मायावती इन सुरक्षा के घेरे में ही रहेंगे।
पहले ली सत्ता
साल 2012 में हुए विधान सभा चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव ने प्रदेश की सत्ता संभाली थी। इस दौरान उन्हें सीएम रहते हुए जेड प्लस सुरक्षा मुहिया कराई गयी थी। इसके बाद सूबे की सरकार चलाते हुए अखिलेश ने यूपी में कई बड़े प्रोजेक्ट की शुरआत की। इसमें लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे और लखनऊ मेट्रो जैसे कई अहम प्रोजेक्ट शामिल थे। इसके अलावा अखिलेश ने बेरोजगारों को भी रोजगार दिए।
इन सबके बाद भी 2017 के विधान सभा चुनाव में वो अपनी कुर्सी बचाने में नाकामयाब रहे और मोदी लहर में बीजेपी 403 में से 324 सीटें जीतने में कामयाब रही और 2012 में बहुमत से आई समाजवादी पार्टी की सरकार को मात्र 55 सीटें ही मिली। इस तरह बीजेपी ने अखिलेश की सत्ता को छीन लिया और योगी आदित्यनाथ प्रदेश के सीएम बने।
फिर लिया घर
साल 2017 में प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने के बाद ही उसने कड़ी कारवाई करनी शुरु कर दी। सबसे पहले बीजेपी ने उनपर कारवाई की जो सालों पहले मुख्यमंत्री थे और पांच कालिदास मार्ग स्थित आवासों में जमे हुए थे। हालाँकि प्रशासन के इस आदेश को पहले तो किसी ने नहीं माना उसके बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक एक कर सबने आवासों को खाली किया।
इसमें अखिलेश यादव भी शामिल थे। पूर्व सीएम के आवास छोड़ने को लेकर बवाल हुआ क्योंकि आवास से जाने के बाद वहां की टैप, दीवारें सबकी सब उखड़ी हुई थी जिसको लेकर बाद में जाँच तक बैठी।
और अब सुरक्षा
इन सबके बाद अब सरकार ने पूर्व सीएम अखिलेश यादव की जेड प्लस सुरक्षा भी वापस लेने की तैयारी में है। इसके लिए आदेश पर हस्ताक्षर भी हो चुके है। बता दें कि केंद्र सरकार का गृह मंत्रालय तय करता है कि किसको जेड प्लस सुरक्षा देनी है। किसी भी महत्वपूर्ण व्यक्ति को जान के खतरे को देखते हुए सुरक्षा प्रदान की जाती है। सुरक्षा केटेगरी किस तरह की है या कितने सुरक्षाकर्मी सुरक्षा में लगे हैं, इससे व्यक्तित्व और पद का मूल्यांकन नहीं होता।
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भारतीय संविधान के अनुसार अगर कोई व्यक्ति देश की सेवा करते हुए अपने कर्तव्य पर निरत है तो उसकी सुरक्षा करना भी राष्ट्र का कर्तव्य है। इसी के तहत व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान की जाती है। यह सुरक्षा हमारे नेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों प्रदान की जाती है।
अभी तक भारत में 13 लोगों के पास Z प्लस सुरक्षा
सभी प्रकार की सुरक्षा मानकों में Z प्लस सुरक्षा को सबसे सुरक्षित माना जाता है। भारत में अभी 13 लोगों को यह सुरक्षा दी जा रही है। इसमें यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी शामिल है। हालाँकि केंद्र सरकार में उनसे यह सुरक्षा वापस लेने का फैसला लिया है। इस सुरक्षा के अंतर्गत सुरक्षाकर्मियों की संख्या 36 होती है। इनमें 10 एनएसजी कमांडो और एसपीजी कमांडो होते हैं। ये कमांडो अति प्रशिक्षित और बिना हथियार के भी हथियारबंद दुश्मनों पर भारी होते हैं।
कई लेयर में होते है VVIP
इन कमांडो के अतिरिक्त इस दल में पुलिस, CRPF और आईटीबीपी के चुनिंदा जवानों भी शामिल होते हैं। जेड प्लस सुरक्षा कई लेयर के अनुसार होती है| पहला लेयर या घेरा NSG के कमांडो की जिम्मेदारी में होती है जबकि दूसरा लेयर एसपीजी के अधिकारियों की निगरानी में होता है। इसके बाद अन्य लेयर में अन्य सुरक्षा कर्मी वीवीआईपी परसन को घेरे रहते हैं।
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