जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राज्यों को चालू वित्तवर्ष में वस्तु एवं सेवाकर (GST) के संग्रह में आई कमी की भरपाई के लिए उधार लेने के विकल्प सुझाए हैं।
राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में वित्त मंत्रालय ने जीएसटी मुआवजे का भुगतान करने में केंद्र सरकार की कठिनाइयों का जिक्र किया है। वित्त मंत्रालय द्वारा 12 पेज में लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि मौजूदा आर्थिक स्थिति ऐसी है कि केंद्रीय राजस्व पर जीएसटी राजस्व के मुकाबले ज्यादा असर पड़ा है।
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अप्रत्यक्ष कर लेन- देन से जुड़ा है और गतिविधि के अनुपात में इसमें रिकवरी होती है, जबकि लाभ पर लगने वाले प्रत्यक्ष कर से प्राप्त राजस्व में मौजूदा हालात में भारी कमी आई है।

वहीं, मजदूरी और वेतन पर लगने वाले प्रत्यक्ष कर से प्राप्त राजस्व में भी भारी कमी आई है, जबकि आयात पर लगने वाले सीमा- शुल्क से प्राप्त राजस्व भी प्रभावित हुआ है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि महामारी की रोकथाम के साथ- साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले को लेकर केंद्र सरकार के खर्च में इजाफा हुआ है। पत्र ने अनुसार, यह समस्या सिर्फ केंद्र की नहीं, बल्कि राष्ट्रीय समस्या है।
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मुआवजे का भुगतान करने को लेकर केंद्र सरकार की उधारी के सवाल पर मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार को इस साल पहले से ही बड़ी मात्रा में उधारी की जरूरत है। पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों के यील्ड पर केंद्र की अतिरिक्ति उधारी का प्रभाव पड़ेगा, जिसका जिसके बड़े आर्थिक नुकसान हो सकते हैं।
जीएसटी मुआवजे की भरपाई के लिए केंद्र द्वारा राज्यों को सुझाए गए विकल्पों के अनुसार, अगर राज्यों द्वारा बाजार से उधारी से 2,35,000 करोड़ की कमी को पूरा करने का फैसला लिया जाता है कि तो अतिरिक्त बिनाशर्त उधारी की सीमा 0.5 फीसदी और कोरोना से राहत के तौर पर आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत प्रदत्त 0.5 फीसदी की अंतिम बोनस किस्त अलग-अलग उपलब्ध नहीं होगी।
केंद्र सरकार ने पहले विकल्प के तौर पर राज्यों को भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से किफायती ब्याज दर पर 97,000 करोड़ की विशेष उधारी विकल्प दिया है। वहीं, दूसरे विकल्प के तौर पर केंद्र सरकार ने राज्यों को चालू वित्त वर्ष में 2,35,000 करोड़ के अनुमानित मुआवजे की कमी की भरपाई उधारी से करने की अनुमति दी है।
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