Wednesday - 10 January 2024 - 11:08 PM

शिक्षक राजनीति के चौसर पर जीत के लिए व्यूह रचना में जातियता भी मोहरा

  • किंग मेकर की भूमिका में हैं इंजीनियरिंग संस्थान के संविदा शिक्षक

ओम प्रकाश सिंह

अयोध्या। डाक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में शिक्षक संघ चुनाव की सरगर्मी तेज है। जीत के लिए शिक्षक राजनीति के चौसर पर जीत के लिए व्यूह रचना में जातियता भी मोहरा बन गई है।

नियमित शिक्षकों की तुलना में संविदा के शिक्षक तीन गुना हैं। महत्व तो सभी विभागों के शिक्षक मतदाताओं का है लेकिन इंजीनियरिंग संस्थान के संविदा शिक्षक किंगमेकर की भूमिका में रहेंगे।

एक लंबे संघर्ष के बाद अवध विश्वविद्यालय में शिक्षक संघ का गठन होने जा रहा है। अयोध्या की पहचान मर्यादा पुरुषोत्तम राम से है लेकिन रामनगरी के इस विश्वविद्यालय में शिक्षकीय गरिमा ही मर्यादित नहीं है।

शिक्षक चुनाव में जीत के लिए जातीयता का गुलाल भी उड़ रहा है। पिछले दो वर्ष में विश्वविद्यालय के अंदर जातियता जो जहर बोया गया था, उसे मथा जा रहा है। अध्यक्ष व महामंत्री पद पर शिक्षक राजनीति के मठाधीशों की नजर है।

स्थापना काल से महाविद्यालयों के साथ विश्वविद्यालय की भी शिक्षक राजनीति दो धुरी रही है। महाविद्यालय शिक्षक संघ की राजनीति में कमान साकेत महाविद्यालय के दो शिक्षकों वीपी सिंह व सत्येंद्र त्रिपाठी के हाथ में थी। कमोबेश अभी भी महाविद्यालय की राजनीति दो धुरी ही है।

विश्वविद्यालय परिसर की कमान इतिहास विभाग के दो क्षत्रिय शिक्षकों के हाथ में थी लेकिन इसमें से एक खेमे में ब्राह्मण शिक्षकों का बोलबाला रहा है। दागी पूर्व कुलपति रविशंकर सिंह पटेल के आने के बाद विश्वविद्यालय में शिक्षक राजनीति की धुरी साइकिल की तरह ना होकर रिक्शा हो गई है।

शिक्षक संघ चुनाव में कुल एक सौ पचहत्तर वोट हैं जिसमें पैतालीस नियमित शिक्षक हैं जबकि संविदा के एक सौ तीस शिक्षक हैं। विधिक रुप से शिक्षक संघ का गठन करवाने में अध्यक्ष प्रत्याशी प्रो विनोद कुमार श्रीवास्तव का संघर्ष सब स्वीकार करते हैं। अध्यक्ष पद की त्रिकोणात्मक लड़ाई में डाक्टर शैलेंद्र वर्मा और इतिहास विभाग से डाक्टर दिवाकर त्रिपाठी की दावेदारी है।

महामंत्री पद पर प्रो शैलेंद्र कुमार और डाक्टर राना रोहित सिंह आमने सामने हैं। महामंत्री पद की लड़ाई में पाला बदलने की राजनीति का वो आइना ईजाद हुआ है जिसमें गिरगिट भी चेहरा देखना नहीं चाहेगा। दो साल से सत्ता से दूर एक मठाधीश ने दूसरे मठाधीश के सहयोगी को अपना उम्मीदवार बनाकर कौटिल्य प्रशासनिक भवन के मठाधीश को हतप्रभ कर दिया।

एक उम्मीदवार सवर्ण और दूसरे उम्मीदवार के एससी होने से इस पद पर जातीय गुणागणित ज्यादा तेज है।तीसरी थुरी के मठाधीशो के सामने सवर्ण प्रत्याशी के पक्ष में हवा बहाने की चुनौती है क्योंकि विपक्ष में उम्मीदवार एससी है।

कोषाध्यक्ष पद पर डाक्टर विनोद कुमार चौधरी और डाक्टर देव नारायन वर्मा की टकराहट है। दोनों प्रत्याशियों के सजातीय होने से इस पद पर जातीय रंग तो नहीं है लेकिन अन्य पदों के प्रत्याशियों, मठाधीशो की पंसद- नापंसद ने चुनाव को रोचक बना दिया है।

पूरे चुनाव में एकमात्र महिला शिक्षक डाक्टर वंदिता पांडेय ने उपमंत्री पद पर दावा ठोंका है। डाक्टर तरुन गंगवार ने इनके पक्ष में परचा वापस लेकर महिला सशक्तिकरण अभियान को बल प्रदान कर दिया है। इस पद के अन्य दावेदारों में खेलकूद विभाग से अनुराग पांडेय व आईटी से लोकेंद्र उमराव हैं। चर्चा है कि लोकेंद्र उमराव को खेलकूद विभाग के ही तीसरघ धुरी के एक शिक्षक का समर्थन हासिल है।

संयुक्त मंत्री के दो पदों के लिए इंजीनियरिंग संस्थान से से डॉ0 बृजेश भारद्वाज, डॉ0 अनूप कुमार श्रीवास्तव, डाॅ0 दिलीप कुमार, डाॅअमित सिंह व बायोटेक्नोलॉजी विभाग से डाक्टर मणिकांत त्रिपाठी मैदान में हैं।

इंजीनियरिंग संस्थान में बहत्तर मतदाता हैं जिससे पूरे चुनाव के परिप्रेक्ष्य में वो किंगमेकर की भूमिका हैं लेकिन संयुक्त मंत्री चुनने के लिए विभागीय एकता नहीं बन पा रही है। यहां भी जातियता का गुलाल उड़ रहा है। सत्ता केंद्र में भागीदारी के लिए अपने मोहरो की जीत की फ्रिक से मठाधीश रंग बदल रहे। जीत हार अपनी जगह लेकिन शिक्षक संघ गठन को लेकर आम शिक्षकों में उत्साह है।

 

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