जुबिली न्यूज डेस्क
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में नया बवाल खड़ा हो गया है। आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर दो वोटर आईडी कार्ड रखने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया है।
तेजस्वी यादव ने हाल ही में दावा किया था कि उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है, लेकिन चुनाव आयोग और पटना डीएम ने इसका खंडन करते हुए कहा कि उनका नाम सूची में सीरियल नंबर 416 पर मौजूद है, और EPIC नंबर भी वही है जो उन्होंने 2020 में नामांकन के समय दिया था।
इस बीच बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने तेजस्वी पर आरोप लगाया कि उनके पास दो वोटर आईडी कार्ड हैं—RAB0456228 और RAB2916120। इनमें से RAB2916120 नंबर का जिक्र खुद तेजस्वी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया था। पात्रा ने सवाल उठाया कि अगर पार्टी के बड़े नेता के पास दो EPIC नंबर हैं, तो आम कार्यकर्ताओं की स्थिति क्या होगी?
चुनाव आयोग का कहना है कि तेजस्वी द्वारा बताया गया EPIC नंबर आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया गया था। आयोग इस मामले की जांच कर रहा है और नोटिस के जवाब का इंतजार है।
क्या कहता है कानून?
भारत में एक व्यक्ति के पास एक से ज्यादा वोटर आईडी कार्ड रखना कानूनन अपराध है। अगर कोई व्यक्ति दो अलग-अलग पहचान पत्र रखता है, तो उसके खिलाफ Representation of the People Act, 1950 और 1951 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
इस अपराध में
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एक साल तक की जेल,
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जुर्माना
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या दोनों सजा हो सकती है।
क्या करें अगर किसी के पास दो वोटर कार्ड हों?
ऐसे मामलों में व्यक्ति को चुनाव आयोग की वेबसाइट www.nvsp.in पर जाकर एक वोटर कार्ड रद्द करने के लिए आवेदन करना होता है। वहां “Form 7” भरकर अनावश्यक EPIC नंबर को हटवाया जा सकता है।
सियासत गरमाई
इस मामले को लेकर आरजेडी और बीजेपी के बीच सियासी घमासान शुरू हो गया है। आरजेडी इसे जहां राजनीतिक साजिश बता रही है, वहीं बीजेपी इसे लोकतंत्र से खिलवाड़ करार दे रही है। चुनाव आयोग की जांच और कानूनी प्रक्रिया अब इस बात पर टिक गई है कि क्या तेजस्वी यादव पर औपचारिक रूप से केस दर्ज किया जाएगा या उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया जाएगा।
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लोकतंत्र में वोटर आईडी की अहमियत
वोटर आईडी न सिर्फ पहचान पत्र है, बल्कि मतदान का संवैधानिक अधिकार है। यह चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। ऐसे में एक से अधिक वोटर कार्ड रखने जैसे मामलों पर सख्त कार्रवाई लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा के लिए जरूरी मानी जा रही है।