न्यूज डेस्क
सपा-बसपा गठबंधन का हश्र ऐसा होगा, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ऐसी कल्पना नहीं की होगी। लेकिन कहते हैं न राजनीति में स्थायी रूप से न कोई दोस्त होता है और न ही दुश्मन। राजनीति सिर्फ मतलब की होती है।
अखिलेश यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ है। लोकसभा चुनाव के दौरान सारे गिले-शिकवे भुलाकर गठबंधन बना और भतीजे अखिलेश ने बुआ मायावती को रिश्ते का पूरा मान-सम्मान दिया। लेकिन चुनाव बाद सारे रिश्ते मोदी की सुनामी में बह गए और बची सिर्फ तल्खी। उसी तल्खी का नतीजा है कि आज बसपा प्रमुख मायावती ने अखिलेश को धोखेबाज का तमगा दे दिया साथ ही भविष्य में दोबारा गठबंधन की गुंजाइश पर भी विराम लगा दिया।

मायावती ने ट्विटर पर लिखा कि पार्टी व मूवमेन्ट के हित में अब बसपा आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी।
मायावती ने कहा कि बीएसपी की आल इण्डिया बैठक कल लखनऊ में ढाई घण्टे तक चली। इसके बाद राज्यवार बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा जिसमें भी मीडिया नहीं था। फिर भी बीएसपी प्रमुख के बारे में जो बातें मीडिया में फ्लैश हुई हैं वे पूरी तरह से सही नहीं हैं जबकि इस बारे में प्रेसनोट भी जारी किया गया था।

मायावती ने अपने दूसरे ट्विट में कहा कि वैसे भी जगजाहिर है कि सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ सन् 2012-17 में सपा सरकार के बीएसपी व दलित विरोधी फैसलों, प्रमोशन में आरक्षण विरूद्ध कार्यों एवं बिगड़ी कानून व्यवस्था आदि को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया।
मायावती ने अपने तीसरे ट्वीट में कहा कि परन्तु लोकसभा आमचुनाव के बाद सपा का व्यवहार बीएसपी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके बीजेपी को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है। अतः पार्टी व मूवमेन्ट के हित में अब बीएसपी आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
