
जुबिली न्यूज़ डेस्क
फिल्म पद्मावत के बाद अब आशुतोष गोवारिकर की फिल्म पानीपत के दृश्यों और संवादों को लेकर विरोध हो रहा है। फिल्म पानीपत सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। वहीं #boycottpanipat ट्रेंड में चल रहा है। दरअसल ऐसा आरोप लगाया गया है कि फिल्म में महाराजा सूरजमल की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गई है। फिल्म में भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल को लालची शासक के रूप में दर्शाने का लोग विरोध कर रहे हैं।
फिल्म के इस दृश्य को लेकर विवाद
फिल्म में महाराजा सूरजमल को मराठा पेशवा सदाशिव राव से संवाद के दौरान इमाद को दिल्ली का वजीर बनाने व आगरा का किला उन्हें सौंपे जाने की मांग करते दिखाया गया है। इस पर पेशवा सदाशिव आपत्ति जताते हैं। सूरजमल भी अहमदशाह अब्दाली के खिलाफ युद्ध में साथ देने से इनकार कर देते हैं। सूरजमल को हरियाणवी व राजस्थानी भाषा के टच में भी दिखाया है।
फिल्म में सूरजमल का चरित्र ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत: इतिहासकार
महाराजा सूरजमल फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ। जितेंद्र सिंह और किसान नेता नेम सिंह फौजदार का कहना है कि महाराजा सूरजमल शुद्ध रूप से ब्रज भाषा बोलते थे। इसके अलावा पानीपत की लड़ाई से पहले राजा सूरजमल का आगरा के लाल किले पर कब्जा था।
वहीं, भरतपुर का इतिहास सहित 13 पुस्तकें लिख चुके इतिहासकार रामवीर वर्मा का कहना है कि फिल्म में महाराजा सूरजमल का चरित्र तथ्यों से परे फिल्माया है। फिल्म में बताया गया है कि उन्होंने आगरा के किले की मांग की, जबकि सत्य तो यह है कि आगरा का किला तो पहले ही जाट रियासत के अधीन था, बल्कि भरतपुर रियासत का शासन अलीगढ़ तक था।
वर्मा बताते हैं कि महाराजा सूरजमल और उनके महामंत्री रूपराम कटारिया मराठा सेना के शिविर में गए थे, जहां मराठा सेना के साथ आई महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित स्थान ग्वालियर अथवा डीग और कुम्हेर के किले में रखने का सुझाव दिया था। लेकिन, उनके परामर्श को नहीं माना गया और उपेक्षा की गई। इस पर वे अभियान से अलग हो गए। इसलिए फिल्म में महाराजा सूरजमल का चरित्र ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है।
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