
हिंदू धर्म भगवन श्री राम के जन्मोत्सव पर रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम-धाम के साथ मनाता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार श्री राम का जन्म आज के दिन हुआ था साथ ही इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना भी की थी।
जानें भगवान श्री राम के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा
शास्त्रों में कथाओं के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। ऐसा कहा जाता है कि तीनों में से किसी से भी कोई संतान नहीं थी। शादी के कई साल बाद भी राजा दशरथ पिता नहीं बन पाए।
तब महान ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें पुण्य कामस्थी यज्ञ करने की सलाह दी। महान ऋषि महर्षि रुशया शरुंगा ने सबसे विस्तृत तरीके से अनुष्ठान किया। राजा को पयसाम (खीर) का कटोरा सौंपा गया और अपनी पत्नियों के बीच उसे वितरित करने के लिए कहा गया।
राजा ने अपनी बड़ी पत्नी कौशल्या को आधा खीर दिया और दूसरा आधा अपनी छोटी पत्नी कैकेयी को उसके पश्चात दोनों पत्नियां अपने हिस्से का आधा हिस्सा सुमित्रा को देती हैं।
पवित्र भोजन के इस असमान वितरण से 9 महिने बाद कौशल्या और कैकेयी दोनों एक-एक पुत्र को जन्म देती हैं, जबकि सुमित्रा जुड़वां पुत्र को जन्म देती हैं। यह दिन अयोध्या में अंतिम उत्सव में से एक था, जहां न केवल शाही परिवार, बल्कि हर निवासी ने राहत की सांस ली और इस चमत्कार के लिए भगवान को धन्यवाद दिया।
ऐसे मनाते हैं राम नवमी
रामनवमी के दिन की शुरुआत सूर्य देव की आराधना के साथ होती है। सूर्य शक्ति का प्रतीक हैं और हिन्दू मान्यता के मुताबिक सूर्य देव को भगवान श्रीराम का पूर्वज माना जाता है।
रामनवमी चैत्र नवरात्र में पड़ती है और यह दिन चैत्र नवरात्रि का समापन दिन भी होता है। देश के विभिन्न हिस्सों में कई रिति रिवाजों के मुताबिक राम नवमी की पूजा होती है। भगवान श्री राम को मर्यादा का प्रतीक माने जाने के साथ ही उन्हें श्रेष्ठ पुरुष की संज्ञा दी जाती है।
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किसी के साथ कोई भेद-भाव नहीं करते हैं। इस दिन लोग भजन कीर्तन करते हैं और रामकथा सुनते हैं। इस दिन रामचरित मानस का पाठ भी करवाया जाता है। मान्यता है कि राम नवमी के दिन उपवास रखने से सुख समृद्धि आती है और पाप और बुराइयों का नाश होता है।
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