जुबिली स्पेशल डेस्क
मुंबई. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित फिल्म “अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी” को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में गुरुवार को अहम सुनवाई हुई।
कोर्ट ने सेंसर बोर्ड (CBFC) की प्रक्रिया और रचनात्मक स्वतंत्रता को लेकर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी फिल्म के लिए मुख्यमंत्री या किसी नेता से NOC (अनापत्ति प्रमाणपत्र) मांगना नियमों के खिलाफ है।
CBFC ने योगी से NOC लाने को कहा: निर्माता का दावा
फिल्म के निर्माता ने कोर्ट को बताया कि जब उन्होंने फिल्म को प्रमाणन के लिए CBFC को भेजा, तो बोर्ड के CEO ने इसे यह कहकर लौटा दिया कि पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर NOC लाएं। निर्माता के अनुसार, CBFC के चेयरमैन ने खुद अपॉइंटमेंट दिलाने में मदद करने की पेशकश की थी।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी NOC की शर्त अवैध
इस पर जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोकले की खंडपीठ ने CBFC पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि कोई भी फिल्म बोर्ड यह नहीं कह सकता कि पहले किसी राजनीतिक नेता से NOC लाएं। यह बोर्ड के नियमों और फिल्म प्रमाणन प्रक्रिया के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है।
CBFC बताए कि किस सीन पर आपत्ति है
कोर्ट ने CBFC से स्पष्ट पूछा कि अगर किसी सीन या संवाद पर आपत्ति है, तो उसके कारण स्पष्ट करें। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि आप डिस्क्लेमर (स्पष्टीकरण) भी ले सकते हैं, लेकिन फिल्म देखे बिना सर्टिफिकेट से इनकार करना गलत है।
CBFC की सफाई और कोर्ट की फटकार
CBFC की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभय खंडेपरकर ने कोर्ट को बताया कि बोर्ड ने पूरी फिल्म देखने के बाद ही सर्टिफिकेशन देने से इनकार किया है। उन्होंने तर्क दिया कि फिल्म एक बायोपिक है जबकि निर्माता इसे फिक्शन (काल्पनिक) बता रहे हैं। बोर्ड ने यह भी कहा कि किताब और फिल्म के प्रभाव अलग होते हैं, इसलिए अंतिम निर्णय चेयरमैन के विवेक पर आधारित था।
इस पर कोर्ट ने दोटूक कहा कि 17 जुलाई को CBFC ने खुद कहा था कि फिल्म देखकर नियमों के अनुसार फैसला लिया जाएगा, फिर स्क्रिप्ट देखकर ही इसे खारिज क्यों किया गया? कोर्ट ने इस प्रक्रिया को नियमों का उल्लंघन बताया।
हाईकोर्ट के आदेश: 13 अगस्त तक हो अंतिम निर्णय
सुनवाई के अंत में हाईकोर्ट ने फिल्म निर्माताओं को निर्देश दिया कि वे 8 अगस्त तक CBFC की रिविजन कमिटी में अपील करें। CBFC को 11 अगस्त तक यह लिखित रूप में बताना होगा कि फिल्म के किन दृश्यों या संवादों पर आपत्ति है, और 13 अगस्त तक अंतिम निर्णय लेना होगा।