जुबिली न्यूज डेस्क
देश की शीर्ष अदालत ने दहेज उत्पीडऩ के मामले में एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि जालिम मर्द रहम के हकदार नहीं हो सकते।
यह टिप्पणी चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान की।
एक महिला से जुड़े मामले में मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है, जब कुछ दिनों पहले ही एक अन्य मामले में उन्होंने लड़की के उत्पीडऩ के आरोपी से शादी करने के लिए पूछा था।

इसे लेकर पहले ही राजनीतिक दल और महिला अधिकारों के कार्यकर्ता मुख्य न्यायाधीश का विरोध कर चुके हैं।
क्या है मामला?
एक महिला के पति ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए कई अहम दलीलें दीं, जिस पर सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने महिला के आरोपों के साथ जाने का निर्णय लेते हुए उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
महिला के पति ने दावा किया था कि उस पर दहेज उत्पीडऩ के आरोप तब लगे, जब उसने एक अन्य व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी की आपत्तिजनक फोटो शेयर करने की पुलिस में शिकायत की थी।
महिला के पति ने अपने अधिवक्ता के जरिए कहा कि जब दोनों लोग अलग-अलग रह रहे थे, तब उसकी पत्नी ने अपनी सैकड़ों आपत्तिजनक तस्वीरें दूसरे लोगों के साथ साझा की थीं।
ये भी पढ़े : बेरोजगारी से निपटने के लिए खट्टर सरकार ने निकाला ये रास्ता
ये भी पढ़े : ‘मेट्रो मैन’ को केरल में सीएम उम्मीदवार बनाये जाने की बात से पलटे केंद्रीय मंत्री
ये भी पढ़े : न्यूजीलैंड में भूकंप के बाद सुनामी आने का खतरा टला
पति ने कहा कि दहेज उत्पीडऩ का आरोप एकतरफा है, जबकि महिला से एक भी पैसा दहेज के तौर पर न मांगा गया और न ही लिया गया।
पति के इन दलीलों पर बेंच ने कहा कि अगर महिला ने अपनी आपत्तिजनक तस्वीरें किसी के साथ साझा कीं, तो उसे तलाक दिया जा सकता था, पर उसके साथ क्रूरता नहीं बरती जा सकती है।
अदालत की इस टिप्पणी के साथ ही पति पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। बताया जा रहा है कि इस मामले में पत्नी ने पति के माता-पिता पर भी दहेज उत्पीडऩ के आरोप लगाए थे। हालांकि, उन्हें पहले ही राजस्थान कोर्ट की तरफ से अग्रिम जमानत मिल चुकी है।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
