जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन पराक्रम में ड्यूटी के दौरान बीमार पड़ने पर जवान को खून चढ़ाया गया था। इसके बाद उसे एचआईवी संक्रमण हो गया था। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सेना के जवान के इलाज में लापरवाही को लेकर उसे 1.5 करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जो रक्षा कर्मी अपनी जान की बाजी लगाते हैं, अंतिम बलिदान के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, उन्हें सर्वोच्च मानक की सुरक्षा दी जानी चाहिए।

IAF को ठहराया लापरवाही का जिम्मेदार
जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने इलाज में लापरवाही के लिए भारतीय वायु सेना (IAF) और भारतीय सेना को संयुक्त रूप से जिम्मेदार ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने सैन्यकर्मी के साथ सम्मान और करुणा के साथ व्यवहार नहीं करने के लिए सरकार और बलों की खिंचाई की। इस वजह से उन्हें मामला दर्ज कराने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसे अपना बकाया पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल लापरवाही के कारण 1,54,73,000 रुपये की मुआवजे का हकदार है। यह राशि भारतीय वायु सेना की तरफ से दी जाएगी।
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हालांकि, भारतीय वायुसेना के लिए यह विकल्प खुला है कि वह सेना से आधी राशि की प्रतिपूर्ति मांग सकती है। बेंच ने कहा कि सैन्यकर्मी की विकलांगता पेंशन से संबंधित सभी बकाया राशि 6 सप्ताह के भीतर दी जाए।
NCDRC ने खारिज कर दिया था दावा
बता दे कि रिटायर्ड अधिकारी सीपीएल आशीष कुमार चौहान ने मेडिकल लापरवाही के उनके दावे को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग NCDRC ने खारिज कर दिया था। इसके बाद चौहान ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने माना था कि इस आशय की कोई एक्सपर्ट राय नहीं थी कि शिकायतकर्ता के शरीर में ब्लड ट्रांसफ्यूजन के समय सेना के कर्मचारी थे। अस्पताल ने कोई लापरवाही की है। अदालत ने सरकार और प्रत्येक अदालत को एड्स से पीड़ित लोगों के मामलों को प्राथमिकता देने के लिए सक्रिय कदम उठाने के निर्देश भी जारी किए।
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