Tuesday - 24 June 2025 - 12:56 PM

सिंधु जल संधि पर भड़के बिलावल भुट्टो, भारत को दी युद्ध की धमकी

जुबिली न्यूज डेस्क

नई दिल्ली। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने एक बार फिर भारत के खिलाफ तीखी ज़ुबान का इस्तेमाल करते हुए सिंधु जल संधि को लेकर भड़काऊ बयान दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भारत इस संधि को नहीं मानता, तो पाकिस्तान छहों नदियों से पानी लेगा और युद्ध के लिए भी तैयार रहेगा।यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को लेकर तनाव चरम पर है।

“भारत माने संधि या हो जाए युद्ध” – बिलावल भुट्टो

बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने कहा,“अगर भारत सिंधु जल संधि को तोड़ेगा, तो पाकिस्तान अपनी जनता के लिए सभी नदियों पर कब्जा कर लेगा। हम युद्ध से पीछे नहीं हटेंगे।”

इससे पहले भी बिलावल ने कहा था कि—“या तो उनका खून इसमें बहेगा या पानी बहेगा।”इस बयान को भारत के खिलाफ सीधा युद्ध का अल्टीमेटम माना जा रहा है।

अमित शाह के बयान से भड़का पाकिस्तान

गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में स्पष्ट किया था कि भारत अब सिंधु जल संधि को बहाल नहीं करेगा। इसके बाद पाकिस्तान की राजनीतिक और कूटनीतिक हलचलों में तेजी आई है।पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस पर आपत्ति जताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि भारत की इस नीति से क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा हो सकता है।

 पानी और खून साथ नहीं बह सकते

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा था:“पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।”भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद और युद्धविराम उल्लंघन के माध्यम से भरोसे को तोड़ा है, इसलिए अब भारत को भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार का अधिकार है।

क्या है सिंधु जल संधि?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। इसके तहत:

  • भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, सतलुज, ब्यास) का अधिकार मिला,

  • पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का।

हाल के वर्षों में भारत ने इस समझौते पर दोबारा विचार करने की बात कही है, खासकर पाकिस्तान के आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने के चलते।

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बिलावल भुट्टो ज़रदारी का यह बयान दोनों देशों के बीच फिर से राजनयिक और सामरिक तनाव को हवा देने वाला है। भारत अब इस संधि को सुरक्षा और नीति से जोड़कर देख रहा है, जबकि पाकिस्तान कड़े तेवर दिखा रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।

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