जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल अब पूरी तरह गर्म हो चुका है। एनडीए (NDA) ने अपने स्टार प्रचारकों की पूरी फौज मैदान में उतार दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक, कई शीर्ष नेता राज्यभर में जनसभाएं करने जा रहे हैं।
पीएम मोदी की 12 बड़ी रैलियां तय
चुनाव प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुल 10 से 12 जनसभाएं करेंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी की पहली रैली 23 अक्टूबर को होगी, जब वे सासाराम, गया और भागलपुर में विशाल सभाओं को संबोधित करेंगे।
इसके बाद
- 28 अक्टूबर को मोदी दरभंगा, मुजफ्फरपुर और पटना में जनसभाएं करेंगे।
- 1 नवंबर को वे छपरा, पूर्वी चंपारण और समस्तीपुर में रैलियां करेंगे।
- 3 नवंबर को प्रधानमंत्री की सभाएं पश्चिमी चंपारण, सहरसा और अररिया में प्रस्तावित हैं।
- इन रैलियों का मकसद राज्यभर में कार्यकर्ताओं और समर्थकों में नई ऊर्जा भरना है।
- अमित शाह की 25 रैलियां, रणनीतिक फोकस
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी प्रचार की पूरी जिम्मेदारी संभालेंगे। शाह लगभग 25 रैलियां करेंगे और हर क्षेत्र में बीजेपी-जेडीयू के उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बनाएंगे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, शाह का फोकस सीमांचल और उत्तर बिहार के उन इलाकों पर रहेगा जहां पिछले चुनावों में एनडीए को अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी।
NDA की “फुल स्ट्रेंथ” प्रचार रणनीति
बीजेपी और जेडीयू पहली बार बराबर सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, इसलिए एनडीए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।
केंद्रीय नेतृत्व ने संपूर्ण प्रचार कार्यक्रम तय कर लिया है
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,
- केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह,
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,
- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव सहित कई दिग्गज नेता राज्यभर में सभाएं करेंगे।
- मोदी के बिहार पहुंचने से पहले ही एनडीए ने अपनी चुनावी मशीनरी को पूरी तरह सक्रिय कर दिया है।
विपक्ष में अब भी भ्रम
जहां एनडीए पूरी तरह एकजुट नजर आ रहा है, वहीं विपक्षी INDIA गठबंधन में अभी भी सीट बंटवारे को लेकर विवाद जारी है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की साझा रैलियों का शेड्यूल तय नहीं हो पाया है, जबकि कई सीटों पर दोनों दलों में खींचतान जारी है।
एनडीए ने बिहार चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व का पूरा फोकस झोंक दिया है। मोदी और शाह की लगातार रैलियां न केवल मतदाताओं को साधने की कोशिश हैं, बल्कि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने की भी रणनीति का हिस्सा हैं। दूसरी ओर, विपक्षी खेमे की असमंजस भरी स्थिति NDA को स्पष्ट बढ़त दे सकती है।