जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पार्टी इस बार 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि एनडीए में जेडीयू को भी 101 सीटें मिली हैं। इसके अलावा चिराग पासवान की पार्टी को 29 और जीतन राम मांझी तथा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 6-6 सीटें दी गई हैं।
बीजेपी ने अपने तीन लिस्टों में उम्मीदवारों की घोषणा की है। इस बार कई मौजूदा विधायकों के नाम काटे गए हैं, जिससे अंदरूनी नाराजगी बढ़ गई है। विशेषकर औराई से विधायक रामसूरत यादव का टिकट कटने से वे काफी दुखी हैं। रामसूरत यादव का आरोप है कि यादव होने की वजह से उन्हें टिकट नहीं मिला। उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा कि नंदकिशोर यादव, प्रणव यादव, पवन यादव, जयप्रकाश यादव, रामसूरत यादव, मिश्रीलाल यादव और प्रहलाद यादव को टिकट नहीं दिया गया।
क्यों कटे रामसूरत यादव और अन्य यादव नेताओं के टिकट?
रामसूरत यादव के समर्थकों का कहना है कि स्थानीय विरोध और जेडीयू नेता नित्यानंद राय की सिफारिश की वजह से उनका टिकट कट गया। वहीं, मिश्रीलाल यादव ने पहले ही बीजेपी छोड़ने का ऐलान कर दिया था, जिसके बाद उनकी जगह लोक गायिका मैथिली ठाकुर को अलीनगर से उम्मीदवार बनाया गया।
बीजेपी ने इस बार कुल 6 यादवों को टिकट दिया है, जबकि 2020 में 15 और 2015 में 22 यादव उम्मीदवार थे। पहली लिस्ट में 4 यादव थे, दूसरी में कोई नहीं और तीसरी में 2 यादव शामिल थे। नंदकिशोर यादव और प्रणव यादव समेत कई पुराने विधायकों को इस बार मौका नहीं मिला।
अन्य प्रमुख टिकट कट और उम्मीदवार
-
पवन यादव (कहलगांव) की सीट जेडीयू को दी गई, यहां से शुभानंद मुकेश को उम्मीदवार बनाया गया।
-
प्रहलाद यादव (सूर्यगढ़ा) की सीट भी जेडीयू के खाते में गई।
-
जयप्रकाश यादव की जगह नरपतगंज से देवंती यादव को उम्मीदवार बनाया गया।
बीजेपी ने इस बार कुल 17 मौजूदा विधायकों के टिकट कटाए हैं। वहीं, राघोपुर से सतीश कुमार यादव को फिर से उम्मीदवार बनाया गया है, जिनका मुकाबला तेजस्वी यादव से होगा।
ये भी पढ़ें-नीतीश कुमार बोले -“हमारे समय में खत्म हुआ डर का माहौल, अब बिहार में होता है विकास
बीजेपी के यादव उम्मीदवार
बीजेपी की ओर से इस बार यादव उम्मीदवारों में शामिल हैं:
-
पिपरा: श्यामबाबू प्रसाद यादव
-
नरपतगंज: देवंती यादव
-
दानापुर: राजमकृपाल यादव
-
बायसी: विनोद यादव
-
राघोपुर: सतीश कुमार यादव
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार यादव नेताओं के टिकट कटने का मकसद पार्टी का संदेश देना है कि बीजेपी यादवों के बिना भी जीत सकती है, जबकि स्थानीय और नए चेहरे पार्टी की रणनीति में अहम भूमिका निभाएंगे।