Thursday - 24 July 2025 - 12:36 PM

मुंबई ब्लास्ट केस में बड़ी राहत! सुप्रीम कोर्ट ने 12 आरोपियों की दोबारा गिरफ्तारी पर सुनाया ये फैसला

जुबिली न्यूज डेस्क 

सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाकों से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा बरी किए गए 12 आरोपियों को फिर से गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने गुरुवार, 24 जुलाई 2025, को यह टिप्पणी महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान की।

 “उन्हें दोबारा जेल नहीं भेजा जा सकता”

जस्टिस एम. एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने महाराष्ट्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों को सुनते हुए कहा:“जब आरोपियों को रिहा किया जा चुका है, तो उन्हें फिर से जेल भेजने का सवाल ही नहीं उठता।”

हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि:“इस फैसले को किसी अन्य मुकदमे में मिसाल के तौर पर पेश नहीं किया जाना चाहिए। हम सभी पक्षों को नोटिस जारी करेंगे और पूरे मामले पर सुनवाई के बाद निर्णय लेंगे।”

क्या था 2006 का मुंबई ब्लास्ट मामला?

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे, जिनमें 187 से ज्यादा लोग मारे गए और 800 से अधिक घायल हुए थे। यह भारतीय रेलवे इतिहास की सबसे बड़ी आतंकी घटनाओं में से एक मानी जाती है।

 हाईकोर्ट ने क्यों बरी किया?

21 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस केस में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया।जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की बेंच ने कहा कि:“अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ ठोस और निर्णायक सबूत पेश नहीं कर सका। यहां तक कि बमों के प्रकार को भी रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया।”

 पहले क्या हुआ था?

  • 2015 में विशेष अदालत ने MACOCA (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट) के तहत फैसला सुनाया था।

  • 5 आरोपियों को फांसी की सजा, और

  • 7 को उम्रकैद दी गई थी।

फांसी की सजा पाने वाले पांच आरोपी थे:

  1. कमाल अंसारी (2021 में नागपुर जेल में कोविड से मौत),

  2. मोहम्मद फैसल अतुर रहमान शेख,

  3. एहतशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी,

  4. नवीद हुसैन खान,

  5. आसिफ खान.

उम्रकैद की सजा पाने वाले सात आरोपी थे:

  • तनवीर अहमद अंसारी

  • मोहम्मद माजिद शफी

  • शेख मोहम्मद अली आलम

  • मोहम्मद साजिद मरगुब अंसारी

  • मुजम्मिल अतुर रहमान शेख

  • सुहेल मेहमूद शेख

  • जमीर अहमद लतीफुर रहमान शेख

इस फैसले का क्या मतलब है?

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दी गई राहत अंतिम नहीं है, क्योंकि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन जब तक कोई नया आदेश न आ जाए, तब तक बरी किए गए लोगों को दोबारा जेल नहीं भेजा जा सकता।

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