Tuesday - 16 December 2025 - 11:46 AM

नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया–राहुल गांधी को बड़ी राहत, कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लेने से किया इनकार

जुबिली न्यूज डेस्क

नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य आरोपियों को बड़ी राहत मिली है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से दाखिल चार्जशीट पर फिलहाल संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ईडी अपनी जांच आगे जारी रख सकती है।

ईडी ने 9 अप्रैल को गांधी परिवार समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। इस पर राउज एवेन्यू कोर्ट स्थित विशेष सांसद/विधायक अदालत ने सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया।

FIR की कॉपी नहीं मिलेगी आरोपियों को

इसी के साथ कोर्ट ने आरोपियों की एक अन्य याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज FIR की कॉपी सोनिया गांधी और राहुल गांधी को उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि FIR से जुड़ी आवश्यक जानकारी आरोपियों को दी जा सकती है।

बताया गया कि नवंबर 2025 में ईडी ने PMLA की धारा 66(2) के तहत दिल्ली पुलिस को जानकारी साझा की थी। इसके आधार पर दिल्ली पुलिस की EOW ने 3 अक्टूबर 2025 को सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ नई FIR दर्ज की थी। इस FIR में IPC की धाराएं 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 403 और 120-B (आपराधिक साजिश) लगाई गई हैं।

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?

नेशनल हेराल्ड केस देश के सबसे चर्चित राजनीतिक और कानूनी विवादों में से एक है। इसकी शुरुआत वर्ष 2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत से हुई थी। मामला एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़ा है, जो नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करती थी। इस अखबार की स्थापना 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने की थी।

AJL पर भारी कर्ज होने के चलते कांग्रेस पार्टी ने उसे करीब 90.25 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त कर्ज दिया। बाद में यह कर्ज महज 50 लाख रुपये में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नाम की कंपनी को ट्रांसफर कर दिया गया। आरोप है कि इसके जरिए AJL की दिल्ली, मुंबई समेत कई शहरों में मौजूद अरबों रुपये की संपत्तियां YIL के नियंत्रण में आ गईं।

ईडी का आरोप है कि यह पूरी प्रक्रिया एक साजिश के तहत की गई, जिसमें धोखाधड़ी, विश्वासघात और मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए सार्वजनिक संपत्तियों को निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया।फिलहाल कोर्ट के इस फैसले को गांधी परिवार के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है, जबकि मामले में जांच अभी जारी रहेगी।

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