जुबिली न्यूज डेस्क
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की महिलाओं के साथ हुए आरक्षण में गड़बड़ी पर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि सब-इंस्पेक्टर (सिविल पुलिस), प्लाटून कमांडर PAC और फायर सर्विस सेकेंड ऑफिसर (FSSO) की भर्ती में EWS महिलाओं को 20% क्षैतिज आरक्षण दिया जाए और पूर्व में हुई त्रुटियों को शीघ्र ठीक किया जाए।
क्या था मामला?
गौतम बुद्ध नगर की नेहा शर्मा समेत 54 EWS महिला उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि भर्ती बोर्ड ने EWS महिला आरक्षण और सामान्य महिला आरक्षण को एक साथ मिला दिया था, जिससे उन्हें 902 सीटों में पूरा 20% क्षैतिज आरक्षण नहीं मिल पाया। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्हें कोटे के मुताबिक मिलने वाले आरक्षण से वंचित कर दिया गया।
कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा:
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EWS वर्ग की महिलाओं के लिए अलग से मेरिट सूची तैयार की जाए।
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20% क्षैतिज आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
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रिक्त बची सीटों को योग्य EWS महिला उम्मीदवारों से भरा जाए।
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चयनित उम्मीदवारों को नौकरी से नहीं हटाया जाएगा।
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भविष्य में आरक्षण प्रक्रिया में कानूनी तरीके से सभी आरक्षण को अलग-अलग सुनिश्चित किया जाए।
भर्ती बोर्ड की गलती क्या थी?
भर्ती बोर्ड ने सामान्य वर्ग और EWS वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को एक साथ मिला दिया था। इससे EWS वर्ग की महिलाओं की संख्या काफी कम हो गई और वे अपने कोटे से वंचित रह गईं। कोर्ट ने इसे नियमों का उल्लंघन मानते हुए इसे सुधारने का निर्देश दिया।
क्यों है यह फैसला अहम?
यह फैसला न सिर्फ EWS वर्ग की महिलाओं को न्याय देगा, बल्कि भविष्य की सभी सरकारी भर्तियों के लिए एक मिसाल भी बनेगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आरक्षण का मकसद वंचित वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देना है, और किसी तकनीकी गलती या प्रक्रिया की लापरवाही से यह अधिकार उनसे छीना नहीं जा सकता।
EWS महिलाओं को क्या मिलेगा लाभ?
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नई मेरिट लिस्ट में उन्हें उचित स्थान मिलेगा
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खाली सीटों पर उन्हें प्राथमिकता मिलेगी
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आरक्षण को लेकर भविष्य में पारदर्शिता बढ़ेगी
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भर्ती में उनका प्रतिनिधित्व और अवसर सुनिश्चित होगा
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इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला EWS महिला उम्मीदवारों के हक और समान अवसर की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल वर्तमान विवाद सुलझेगा, बल्कि भर्ती बोर्ड को भी भविष्य में आरक्षण लागू करने के लिए कानूनी रूप से स्पष्ट दिशा मिल गई है।