जुबिली स्पेशल डेस्क
जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक 3 सितंबर से शुरू हो चुकी है। यह बैठक तय समय से पहले बुलाई गई है और इसमें जीएसटी सुधारों पर अहम फैसले लिए जाने की संभावना है। अभी जीएसटी चार स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) में लागू है, लेकिन काउंसिल इस ढांचे को सरल बनाने पर विचार कर रही है।
प्रस्ताव है कि लगभग 99% वस्तुएं, जो इस समय 12% वाले स्लैब में आती हैं, उन्हें 5% स्लैब में शिफ्ट किया जाए। वहीं, करीब 90% सामान, जो अभी 28% जीएसटी स्लैब में हैं, उन्हें 18% स्लैब में लाने पर चर्चा होगी। माना जा रहा है कि इस फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया ऐलान को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
क्या-क्या हो सकता है सस्ता?
अगर जीएसटी काउंसिल 12% और 28% वाले स्लैब हटा देती है और इन्हें क्रमशः 5% और 18% में शिफ्ट करती है, तो कई रोज़मर्रा की चीज़ों के दाम घट सकते हैं।
- 12% से 5% स्लैब में आने वाले सामान:
- प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स (जैसे पैकेज्ड मिठाइयाँ, नमकीन, टोमैटो सॉस, पापड़ आदि)
- रेडीमेड गारमेंट्स और फुटवियर
- घरेलू उपयोग की वस्तुएँ (जैसे वॉशिंग पाउडर, ब्रश, पंखा आदि)
प्रोडक्ट्स | वर्तमान जीएसटी दरें | संभावित जीएसटी दरें |
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28% | 18% |
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28% | 18% |
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28% | 18% |
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12% | 5% |
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12% | 5% |
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12% | 5% |
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12% | 5% |
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12% | 5% |
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12% | 5% |
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28% | 40% |
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28% | 40% |
28% से 18% स्लैब में आने वाले सामान
अगर प्रस्ताव पास होता है तो इन महंगे सामानों पर भी राहत मिल सकती है:
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घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स (टीवी, फ्रिज, एसी, वॉशिंग मशीन आदि)
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टू-व्हीलर और मिड-सेगमेंट कारें
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कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स और परफ्यूम
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पेंट्स, सीमेंट और अन्य कंस्ट्रक्शन मटेरियल
क्या होगा महंगा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक जीएसटी ढांचे में बदलाव के बाद कुछ चीजें महंगी हो सकती हैं। इनमें मुख्य रूप से हानिकारक वस्तुएं (जैसे शराब, तंबाकू प्रोडक्ट्स) और लग्ज़री आइटम्स शामिल हैं। सरकार इन पर टैक्स बढ़ाकर राजस्व बढ़ाने और खपत को नियंत्रित करने की तैयारी में है।
उपभोक्ताओं और उद्योगों पर असर
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उपभोक्ता लाभ: रोज़मर्रा और जरूरी सामान सस्ता होने से आम जनता को सीधी राहत मिलेगी।
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उद्योगों को फायदा: कम टैक्स दर से बिक्री बढ़ेगी और घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी।
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रोजगार पर असर: उपभोग बढ़ने से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बूस्ट मिलेगा, जिसका सीधा असर रोजगार पर पड़ेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम घरेलू अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने की दिशा में अहम साबित हो सकता है। इसी तरह अमेरिका भी अपने उद्योगों को बचाने के लिए ट्रेड टैरिफ में बदलाव जैसे उपाय अपनाता रहा है।