Friday - 12 January 2024 - 7:40 PM

इंटरेस्टिंग फैक्ट: जन्म से पहले ही तय हो गया था एप्पल के को-फाउंडर का भविष्य

मेरी कहानी रीड कॉलेज में दाखिला लेने के 6 महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी, पर मैं उसके 18 महीने बाद तक वहाँ किसी तरह आता-जाता रहा, तो सवाल उठता है कि मैंने कॉलेज क्यों छोड़ा ? दरअसल, इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है।

मेरी जैविक माँ एक युवा, अविवाहित स्नातक की छात्र थी, और वह मुझे किसी और को गोद लेना चाहती थी।  मेरी जैविक माँ की ख्वाहिश थी कि कोई पढ़ा-लिखा ही मुझे गोद ले।  मेरी माँ ने सबकुछ पहले ही सेट कर लिया था, और मैं एक वकील और उसकी पत्नी द्वारा गोद लिया जाने वाला था कि अचानक उस दम्पति ने अपना विचार बदल दिया और निर्णय किया कि उन्हें एक लड़का नहीं लड़की चाहिए।

इसलिए तब आधी-रात को मेरे माता-पिता को फोन कर अपना निर्णय सुना दिया, जो तब प्रतीक्षा सूची के दम्पति को फोन करके बोला गया कि, “हमारे पास एक छोटा बच्चा है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी।

बाद में मेरी जैविक माँ को पता चला कि मेरी माँ स्नातक पास नहीं हैं और पिता तो हाई पास भी नहीं हैं।  इसलिए उन्होंने दत्तक पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले माता-पिता ने मुझे कॉलेज भेजने के आश्वासन के बाद वो मान गए. तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई और सत्रह साल बाद मैं कॉलेज गया, पर गलती से मैंने स्टैनफोर्ड जितना ही महंगा कॉलेज चुन लिया।  मेरे पढाई में माता पिता की सारी जमा-पूँजी लगा दी थी।

6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई महत्व नहीं देख रहा था।  मुझे कुछ विचार नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूँ, और कॉलेज मुझे किस तरह से इसमें मदद करेगा..और ऊपर से मैं अपनी माता-पिता की जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था।  इसलिए मैंने कॉलेज से बाहर निकलने का निर्णय लिया।

और अपने मन को समझते हुए कहा जो होगा अच्छा होगा।  उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा निर्णय था।

जैसे ही मैंने कॉलेज छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी क्लास करने की बाध्यता खत्म हो गयी,  और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने दिलचस्पी की क्लास करने लगा. ये सब कुछ इतना आसान नहीं था।  मेरे पास रहने के लिए कोई घर नहीं था, इसलिए मुझे दोस्तों के रूम में फर्श पे सोना पड़ता था।

मैं कोक की बोटल को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खाता था।.मैं हर रविवार 7 मील पैदल चल कर हरे कृष्णा मंदिर जाता था, ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं।  यह मुझे काफी अच्छा लगता था।

मैंने अपनी जीवन में जो भी अपनी जिज्ञासा और सहज-ज्ञान की वजह से किया वह बाद में मेरे लिए अमूल्य साबित हुआ।

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उस समय रीड कॉलेज शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहाँ Calligraphy(हस्तलिपि-विद्या) सिखाई जाती थी।  पूरे कैंपस में हर एक पोस्टर, हर एक लेबल बड़ी खूबसूरती से हांथों से calligraphy (हस्तलिपि-विद्या) किया होता था।

चूँकि मैं कॉलेज से बाहर निकाल चुका था इसलिए मुझे सामान्य कक्षाएं करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैंने तय किया की मैं calligraphy की क्लास करूँगा और इसे अच्छी तरह से सीखूंगा. मैंने सेरिफ़ और सैंस-सेरिफ़ टाइपफेस के बारे में सीखा।

अलग-अलग पत्र-संयोजन के बीच में जगह बदलना और किसी अच्छी टाइपोग्राफी को क्या चीज अच्छा बनाती है, यह भी सीखा. यह खूबसूरत था, इतना कलात्मक था कि इसे विज्ञान द्वारा कैद नहीं किया जा सकता था, और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था।

उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का उपयोग कभी अपनी जीवन में करूँगा।  लेकिन जब दस साल बाद हम पहला Macintosh Computer बना रहे थे तब मैंने इसे Mac में डिज़ाइन कर दिया. और Mac खूबसूरत टाइपोग्राफी युक्त दुनिया का पहला कंप्यूटर बन गया।

अगर मैंने कॉलेज नहीं छोड़ता, तो Mac मैं कभी multiple-typefaces या proportionally spaced fonts नहीं होते, और चूँकि Windows ने Mac की copy की थी तो शायद किसी भी निजी कंप्यूटर में ये चीजें नहीं होतीं।  अगर मैंने कभी कॉलेज नहीं छोड़ा होता, तो मैं कभी calligraphy की वो कक्षा नहीं कर पाता और फिर शायद निजी कंप्यूटर में जो फोंट्स होते हैं, वो होते ही नहीं।

जब मैं कॉलेज में था तब भविष्य में देख कर इन डॉट्स को जोड़ना असंभव था, लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है।  आप कभी भी भविष्य में झांक कर डॉट्स कनेक्ट नहीं कर सकते हैं।  आप सिर्फ अतीत देखकर ही डॉट्स कनेक्ट कर सकते हैं।

इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके भविष्य से कनेक्ट हो जायेगा। आपको किसी न किसी चीज में विश्ववास करना ही होगा —अपने हिम्मत में, अपनी भाग्य में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में…किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा…क्योंकि इस बात में विश्वास करना की आगे चल कर डॉट्स कनेक्ट होंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा…तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे…and that will make the difference.

Radio_Prabhat
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