जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन एक बड़ा निर्णय लिया गया। बांके बिहारी मंदिर निर्माण अध्यादेश को मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही आज बुधवार (13 अगस्त) सुबह 11 बजे से ‘विकसित भारत, विकसित यूपी विजन डॉक्यूमेंट 2047’ पर लगातार 24 घंटे की चर्चा भी शुरू हो चुकी है।
क्या है बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर अध्यादेश?
अध्यादेश के अनुसार, मंदिर के चढ़ावे, दान और सभी चल-अचल संपत्तियों पर अब न्यास का अधिकार होगा। इसमें मंदिर परिसर में रखी मूर्तियां, देवताओं के लिए दी गई भेंट, अनुष्ठान के लिए दी गई संपत्ति, नकद अर्पण, डाक या बैंक ड्राफ्ट/चेक के जरिए भेजी गई राशि शामिल है।
न्यास के अधिकारों में शामिल हैं:
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मंदिर की सभी चल-अचल संपत्तियां
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आभूषण, हुंडी संग्रह, दान, अनुदान
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धार्मिक आयोजनों से जुड़ी संपत्तियां
न्यास का गठन और संरचना
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11 मनोनीत + 7 पदेन सदस्य होंगे।
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मनोनीत सदस्यों में विभिन्न वैष्णव, सनातन परंपराओं, गोस्वामी परंपरा के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
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पदेन सदस्य: मथुरा के DM, SSP, नगर निगम आयुक्त, ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के सीईओ, मंदिर ट्रस्ट सीईओ आदि।
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सभी मनोनीत सदस्य सनातनी हिंदू होंगे, कार्यकाल 3 साल का होगा।
न्यास के दायित्व
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मंदिर की परंपराओं को अक्षुण्ण रखना
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पुजारियों की नियुक्ति, वेतन और भत्तों का निर्धारण
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दर्शन समय तय करना
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श्रद्धालुओं की सुरक्षा और प्रबंधन
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विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराना—
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प्रसाद वितरण,
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दिव्यांगों/वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग मार्ग,
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विश्राम स्थल,
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पेयजल, गौशालाएं, भोजनालय, प्रतीक्षालय आदि।
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वित्तीय अधिकार
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न्यास को 20 लाख तक की संपत्ति खरीदने का अधिकार
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इससे ज्यादा की खरीद के लिए सरकार की मंजूरी अनिवार्य
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सीईओ का पद एडीएम स्तर के अधिकारी के पास होगा
सरकार का दावा है कि यह अध्यादेश मंदिर की धार्मिक परंपरा की रक्षा और श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव देने की दिशा में बड़ा कदम है।