जुबिली न्यूज डेस्क
बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर कथित रूप से घातक कार्रवाई का आदेश देने का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई है। पिछले साल पांच अगस्त को सरकार गिरने के बाद से हसीना भारत में रह रही थीं। फैसले से पहले उन्हें अदालत ने भगोड़ा घोषित कर रखा था।

फैसला बिना पक्ष सुने सुनाया गया: हसीना
सजा सुनाए जाने के बाद शेख हसीना ने फैसले को एकतरफा, अन्यायपूर्ण और राजनीति से प्रेरित बताया।
उन्होंने कहा—“यह फैसला मेरा पक्ष सुने बिना दिया गया। इसे एक गैर-निर्वाचित सरकार चला रही है, जिसके पास जनता का कोई जनादेश नहीं है। मुझे न अपना पक्ष रखने दिया गया और न ही वकील के जरिए प्रतिनिधित्व का मौका मिला।”
हसीना ने दावा किया कि ट्रिब्यूनल ने केवल अवामी लीग के नेताओं पर मुकदमे चलाए, जबकि राजनीतिक विरोधियों द्वारा की गई हिंसा को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया।
कथित ‘जुलाई विद्रोह’ से जुड़े मामले में दोषी करार
ICT ने पाया कि पिछले साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के दौरान हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों पर सरकारी कार्रवाई में हसीना की भूमिका थी।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, इन प्रदर्शनों के दौरान करीब 1,400 लोगों की मौत हुई थी।
इसके साथ ही:
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पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान को भी मौत की सजा सुनाई गई।
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एक पूर्व पुलिस अधिकारी को सरकारी गवाह बनाने के बाद 5 साल की सजा दी गई।
यूनुस सरकार पर गंभीर आरोप
शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश में मौजूदा अंतरिम शासन—जिसमें नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस का प्रभाव माना जाता है—इस न्यायाधिकरण का इस्तेमाल उन्हें और उनकी पार्टी अवामी लीग को समाप्त करने के लिए कर रही है।उन्होंने आरोप लगाया कि यूनुस समर्थित सैन्य इकाइयों ने देशभर में अवामी लीग नेताओं और कार्यकर्ताओं के घरों व व्यवसायों पर हमले किए।
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राजनीतिक संकट और तनाव गहराया
ICT के फैसले के बाद बांग्लादेश में तनाव बढ़ने की आशंका है।अवामी लीग समर्थक फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध बता रहे हैं, जबकि मौजूदा अंतरिम सरकार इसे “न्याय की प्रक्रिया” बता रही है।
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