
अविनाश भदौरिया
उत्तर प्रदेश की सात सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। इन चुनावों को 2022 के विधानसभा का सेमीफाइनल बताया जा रहा है। यही वजह है कि सभी प्रमुख राजनीतिक दल अच्छा प्रदर्शन करके अपने पक्ष में माहौल बनाना चाहते हैं। इसके आलावा भी बहुत सी ऐसी वजह है जिसके चलते इन सीटों पर होने वाले चुनाव बड़े महत्वपूर्ण हो गए है।
सबसे बड़ी बात जो इस चुनाव के परिणाम के बाद तय होगी वह है उत्तर प्रदेश की जातीय समीकरण की राजनीति की दिशा। दरअसल उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर विपक्ष लगातार एक विशेष वर्ग को लाभ देने का आरोप लगाता रहा है। वहीं अन्य वर्गों के उत्पीड़न की बात भी जोरशोर से उठाई गई है।
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अब ऐसे में उपचुनाव के बाद स्पष्ट होगा की वास्तव में जनता क्या सोचती है। प्रदेश की देवरिया सीट ऐसी सीट है जहां बीजेपी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बसपा सभी दलों ने ब्राह्मण कैंडिडेट को टिकट दिया है।

वहीं बांगरमऊ ऐसी सीट है जहां बीजेपी के एक पूर्व विधायक का अच्छा खासा प्रभाव है जो कि राजपूत जाति से आता है और रेप के आरोप में सजा काट रहा है। इस सीट का चुनाव परिणाम भी बीजेपी के लिए अस्मिता से जुड़ा है।
हालांकि माना जा रहा है कि हाथरस केस के बाद महिला सुरक्षा के मुद्दे पर योगी सरकार बैकफुट पर है। ऐसे में यहां पार्टी को नुकसान हो सकता है लेकिन सूत्रों का यह भी कहना है कि, जेल में बंद विधायक का रुतबा अभी भी क्षेत्र में बरक़रार है और पार्टी यहां मजबूत स्थिति में है।
अगर ऐसा सच है और बीजेपी इस सीट को जीतने में सफल होती है तो इससे आगे के लिए बड़ा सन्देश जनता के बीच जाएगा। वहीं विपक्ष का प्रत्याशी जीतेगा तो भी सुर्खियां बटोरेगा। बता दें कि इस बार इस सीट पर 10 उम्मीदवार मैदान में हैं।
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