जुबिली न्यूज डेस्क
दिवाली के बाद पटाखों के चलते वायु प्रदूषण कई गुना बढ़ने के ट्रेंड को देखते हुए कई राज्यों में प्रतिबंध लगा दिया गया है। दिल्ली, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम और कर्नाटक जैसे राज्यों ने अपने स्तर पर पटाखे बैन करने का फैसला किया था।
हालांकि इनमें से कुछ ने विरोध के बाद कुछ देर के लिए पटाखे जलाने की छूट दी थी। मगर सोमवार को नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) का आदेश आ गया। दिल्ली-एनसीआर में तो 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक है ही।
NGT के मुताबिक, पटाखों की बिक्री उन शहरों/कस्बों में भी प्रतिबंधित रहेगी जहां पिछले साल नवंबर में औसत एयर क्वालिटी ‘खराब’ या उससे बुरी थी। इस आदेश के बाद कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो गई है कि कहां पटाखे लाने की छूट होगी और कहां नहीं।
एनजीटी के आदेश के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री या उपयोग पर 9 नवंबर की मध्यरात्रि से 30 नवंबर की मध्यरात्रि तक पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। फिलहाल दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बेहद की खराब स्तर पर है। पटाखों से निकलने वाला धुंआ इस स्थिति को और भी बदतर कर सकता है। एनजीटी के इस फैसले का असर एनसीआर में शामिल सभी जिलों पर लागू होगा।

एनसीआर में उत्तर प्रदेश के आठ जिले शामिल हैं। इसमें गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, बागपत, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर और शामली शामिल हैं। एनजीटी के आदेश के बाद इन जिलों में पटाखों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध होगा।
एनसीआर में हरियाणा के सबसे ज्यादा 14 जिले शामिल हैं। ये जिले हैं- गुरुग्राम, फरीदाबाद, भिवानी, चरखी दादरी, झज्जर, जींद, करनाल, महेंद्रगढ़, नूह, पानीपत, पलवल, रेवाड़ी, रोहतक और सोनीपत। एनजीटी के आदेश के मुताबिक, इन जिलों में लोगों के पटाखे जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध होगा।
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एनसीआर में राजस्थान के दो जिले शामिल हैं। ये जिले हैं- अलवर और भरतपुर। एनजीटी के आदेश के बाद यहां पर पटाखों पर प्रतिबंध लागू होगा। वहीं, राजस्थान सरकार ने दो नवंबर को ही एलान किया था कि राज्य में पटाखों की बिक्री और खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
एनजीटी के आदेश के अनुसार, पटाखों पर प्रतिबंध देश के उन सभी शहरों/कस्बों पर लागू होगा जहां नवंबर के दौरान वायु की गुणवत्ता ‘खराब’ और इससे ऊपर की श्रेणी में आती है। पिछले साल के वायु गुणवत्ता के डाटा को देखा जाएगा और उससे तुलना कर प्रतिबंध लागू किया जाएगा।

एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि जिन शहरों में पिछले साल नवंबर की तुलना में इस साल नवंबर में वायु गुणवत्ता ठीक स्तर पर है। वहां पर ग्रीन पटाखों की ही बिक्री की जाएगी। आदेश में कहा गया है कि पटाखों का उपयोग दिवाली के दिन दो घंटे के लिए किया जा सकेगा। पटाखे जलाने के लिए ये दो घंटे कौन से होंगे, इसका निर्धारण राज्य सरकार करेगी।
एनजीटी ने देश के अन्य हिस्सों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला करने का अधिकार वहां से अधिकारियों को सौंप दिया है। हालांकि, आदेश में कहा गया है कि अगर किसी राज्य या शहर में पहले से ही प्रतिबंध लागू हैं तो वह जारी रहेंगे। इसका मतलब यह है कि अगर किसी क्षेत्र या इलाके की हवा की गुणवत्ता ठीक है, लेकिन राज्य में प्रतिबंध लागू है तो वह उस क्षेत्र पर भी लागू होगा।
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चंडीगढ़ में वायु प्रदूषण को देखते हुए सभी तरह के पटाखों की बिक्री और प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सार्वजनिक स्थानों पर पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ‘फूलझड़ी’ और ‘अनार’ जैसे ध्वनिरहित पटाखों का उपयोग केवल दिवाली पर रात 8 बजे से रात 10 बजे के बीच किया जा सकता है।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी पश्चिम बंगाल में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दिवाली, काली पूजा, जगद्धात्री पूजा और छठ पर पटाखों के इस्तेमाल और बिक्री पर गुरुवार को प्रतिबंध लगा दिया।
एनजीटी ने सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे कोविड-19 को देखते हुए सभी स्रोतों से वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अभियान शुरू करें। राज्य के मुख्य सचिवों को आदेश दिया गया है कि वे जिलाधिकारी, एसपी और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड्स के साथ समन्वय कर प्रदूषण को रोकने का उपाय करें।
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अलावा राज्य प्रदूषण बोर्ड और समितियां इस दौरान वायु की गुणवत्ता पर नजर रखेंगी। सीपीसीबी को कहा गया है कि वह वायु गुणवत्ता को लेकर इकट्ठा किया गया सारा डाटा कम्पाइल कर एक रिपोर्ट के रूप में एनजीटी को भेजेगा।
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