जुबिली न्यूज डेस्क
वॉशिंगटन। अमेरिका ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत और चीन पर सीधा दबाव बढ़ा दिया है। एक ओर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “खास दोस्त” बताते हैं, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट और व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने G-7 देशों से अपील की है कि वे भारत और चीन पर भारी टैरिफ लगाएं।
अमेरिका का आरोप है कि भारत और चीन रूस से बड़ी मात्रा में सस्ता कच्चा तेल खरीद रहे हैं और यह खरीदारी सीधे तौर पर मॉस्को की “युद्ध मशीन” को फंड कर रही है।
अमेरिका ने G-7 से क्या कहा?
शुक्रवार को कनाडा के वित्त मंत्री फ्रांस्वा-फिलिप शैम्पेन की अध्यक्षता में हुई वर्चुअल बैठक में अमेरिकी प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा –“केवल एकीकृत प्रयास से ही पुतिन की युद्ध मशीन को वित्तपोषित करने वाले राजस्व को रोका जा सकता है। यदि पर्याप्त आर्थिक दबाव डाला गया तो ही यूक्रेन में निरर्थक हत्याएं रोकी जा सकती हैं।”बैठक में रूस पर नए प्रतिबंध, व्यापार उपाय और जब्त रूसी परिसंपत्तियों के इस्तेमाल जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
टैरिफ हटाने की शर्त भी बताई
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीन की ओर से लगातार रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदना संघर्ष को लंबा खींच रहा है।उन्होंने चेतावनी दी –“चीन और भारत द्वारा की जा रही तेल खरीद पुतिन की युद्ध मशीन को फंड कर रही है। युद्ध समाप्त होते ही ये टैरिफ हटा लिए जाएंगे।”
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भारत पर असर
अमेरिका का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने रूस से सस्ते तेल आयात को अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए ज़रूरी बताया है। यदि अमेरिका और G-7 टैरिफ लागू करते हैं, तो इसका असर भारत की विदेशी व्यापार नीति, ऊर्जा लागत और कूटनीतिक रिश्तों पर गहरा पड़ सकता है।