जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। निजी सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाले इंदिरानगर निवासी सौरभ शर्मा के अकाउंट से बीते सोमवार की रात धड़ाधड़ 40 हजार रुपये निकल गए। बैंक के एसएमएस अलर्ट को देख हरकत में आए सौरभ ने जब अपना एटीएम कार्ड देखा तो वह उनकी जेब में था।
आखिरकार, उन्होंने बैंक के कॉल सेंटर फोन कर कार्ड को ब्लॉक कराया। बैंक में पड़ताल पर पता चला कि सौरभ के अकाउंट से वह रकम एटीएम कार्ड के जरिए दिल्ली में निकाली गई है। यह कोई अकेला मामला नहीं जिसमें क्लोन एटीएम कार्ड के जरिए अकाउंट से रुपये गायब हो गए।

दरअसल, साइबर क्राइम सेल में इन दिनों ऐसी दर्जनों शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें कार्ड की क्लोनिंग कर लोगों को चूना लगा दिया गया। ध्यान देने वाली बात यह है कि इन कार्ड्स की क्लोनिंग हाइवे पर मौजूद एटीएम में रुपये निकालते वक्त की गई।
अब पुलिस ने बैंकों को हाइवे पर स्थित एटीएम की सुरक्षा व इनकी लगातार निगरानी के लिये पत्र लिखा है। बड़ी बात तो ये है की बैंकों की तरफ से ग्राहकों को तमाम सुविधाओं के लिए इतने चार्ज देने के बाद भी ऐसी दिक्कतों से गुजरना पद रहा है। इसमें नुकसान केवल खाताधारक का हो रहा है।
लखनऊ और आगरा में कार्ड क्लोनिंग कर जालसाज सैकड़ों लोगों को चूना लगा चुके हैं। पुलिस ने बैंकों को पत्र लिखकर सूनसान जगहों पर स्थित एटीएम की रोजाना स्क्रीनिंग करने को कहा है।
निशाने पर रहते है हाइवे के एटीएम
लखनऊ साइबर क्राइम सेल के नोडल ऑफिसर अभय कुमार मिश्र की माने तो साइबर क्राइम सेल में बीते दिनों करीब डेढ़ दर्जन ऐसी शिकायतें मिली हैं, जिनमें एटीएम कार्ड वादी के पास होने के बावजूद उसके अकाउंट से रुपये निकल गए। यह रुपये भी दिल्ली, गुड़गांव, गाजियाबाद या नोएडा में निकाले गए।
पड़ताल में पता चला है कि यह धोखाधड़ी क्लोन कार्ड के जरिए की गई है। पीड़ितों से पूछताछ में यह भी पता चला कि उन्होंने बीते दिनों किसी न किसी हाइवे पर स्थित एटीएम से रकम निकाली थी। यानी उनका कार्ड इन्हीं एटीएम में क्लोन किया गया है। इससे साफ है कि जालसाजों ने हाइवे पर सूनसान जगहों पर स्थित एटीएम को निशाने पर ले रखा है।
दरअसल, इनमें से अधिकांश एटीएम पर सिक्योरिटी गार्ड तैनात नहीं होते जबकि, इनमें फुटफॉल भी कम होता है। यही वजह है कि इन एटीएम पर स्किमर डिवाइस लगाना और उसे निकालना जालसाजों के लिये बेहद आसान होता है।

ये सावधानी जरूर बरतें
- सूनसान जगहों पर मौजूद एटीएम का प्रयोग करने से बचें
- एटीएम से रकम निकालने से पहले जांच लें कि कोई स्किमर तो नहीं लगा।
- स्वैपिंग सेक्शन के अगल- बगल हाथ लगाकर चेक करें कि कोई हिस्सा हिल तो नहीं रहा। कार्ड इंट्री प्वाइंट अगर हिल रहा है तो स्किमर लगा हुआ है।
- की पैड का कोना दबाएं, अगर पैड स्किमर होगा तो दूसरा सिरा उठ जाएगा।
- कीपैड के ठीक पीछे या बगल में प्लास्टिक की पतली सी प्लेट लगी दिखे तो समझ लीजिए उसमें ओवरप्ले डिवाइस लगी है और उससे आपके पिन पर नजर रखी जा रही है।
- समय- समय पर पिन नंबर बदलते रहें।

ऐसे चलती है स्किमर डिवाइस
साइबर एक्सपर्ट्स की माने तो हर एटीएम कार्ड में एक मैग्नेटिक स्ट्रिप होती है, जिसमें अकाउंट से जुड़ी सभी जानकारी सेव रहती है। जालसाज स्कीमर नाम के डिवाइस का इस्तेमाल कार्ड क्लोनिंग के लिये करते हैं। बेहद महीन यह डिवाइस एटीएम मशीन के कार्ड स्वैप करने वाले सेक्शन में लगा दी जाती है।
यह डिवाइस आसानी से दिखाई नहीं देती। जैसे ही कोई शख्स कार्ड को स्वैप करता है तो उसके कार्ड की डिटेल स्किमर में कॉपी हो जाती है। इसके साथ ही जालसाज पिन कीपैड के सामने ओवरप्ले डिवाइस चिपका देते हैं। इसमें एक छोटा कैमरा लगा होता है, जो कि कार्ड स्वैप करने के बाद एंटर किये गए पिन नंबर को रिकॉर्ड कर लेता है।
इसके बाद जालसाज कार्ड का क्लोन तैयार कर और पिन नंबर की मदद से लोगों के खातों से रकम पार कर देते हैं। जालसाज यह करतूत सैकड़ों किलोमीटर दूर से करते हैं, ताकि पुलिस हरकत में आने पर भी उन तक न पहुंच सके।
सभी बैंकों को पत्र लिखकर एटीएम में सुरक्षा बढ़ाने को कहा गया है। साथ ही स्किमर डिवाइस से बचने के लिये लगातार स्क्रीनिंग का भी सुझाव दिया गया है। कस्टमर्स को भी स्किमर से अवेयर रहने की जरूरत है।
अभय कुमार मिश्र, नोडल ऑफिसर, साइबर क्राइम सेल
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
