Sunday - 7 January 2024 - 9:26 AM

शिवपाल सिंह यादव की इस तैयारी से अखिलेश का बेचैन होना तय

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

लखनऊ. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की मुश्किलें आने वाले समय में बीजेपी और बीएसपी की वजह से नहीं बल्कि शिवपाल सिंह यादव की वजह से बढ़ेंगी. समाजवादी पार्टी में दूसरी बार अपमानित होने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने जिस रास्ते पर चलने का फैसला किया है वह 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए सियासत का नया ककहरा पढ़ाने वाला होगा. शिवपाल सिंह यादव को बीजेपी के करीब पाकर अखिलेश यादव को लगा था कि अब मुलायम सिंह यादव की विरासत के अकेले वारिस बन जाएंगे लेकिन शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की बेरुखी से नाराज़ आज़म खां के साथ मिलकर समाजवादी पार्टी के समानांतर मोर्चा तैयार करने की बिसात बिछा दी है.

शिवपाल सिंह यादव ने खुद यह कहा है कि वह आज़म खां को इन्साफ दिलाने के लिए बेहद गंभीर हैं. ईद के बाद वह आज़म खां से फिर मुलाक़ात करेंगे. इस मुलाक़ात के बाद नई पार्टी या फिर नया मोर्चा गठित करने पर विमर्श होगा. शिवपाल सिंह यादव और आज़म खां एक ऐसा मोर्चा गठित करेंगे जिसमें जयंत चौधरी भी शामिल होंगे. भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर आज़ाद और उन नाराज़ नेताओं को शामिल किया जाएगा जो 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराकर समाजवादी पार्टी को मज़बूत करने के पक्ष में थे. सियासत की यह बिसात बिछ गई तो इसमें आम आदमी पार्टी को भी शरीक कर लिया जाएगा ताकि विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जगह पर एक नया विकल्प पेश किया जा सके.

शिवपाल सिंह यादव मुलायम सिंह यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करते रहे हैं और सियासत को बहुत गहराई से समझते हैं. उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता है. समाजवादी पार्टी ने शिवपाल यादव को दरकिनार कर चुनाव लड़ा था तो सिर्फ 47 सीटें ही जीती थीं लेकिन शिवपाल सिंह यादव के साथ आ जाने से यह संख्या ढाई दूना बढ़ गई और समाजवादी पार्टी ने 111 सीटें जीत लीं लेकिन इस जीत का श्रेय शिवपाल सिंह यादव को देना तो दूर उन्हें समाजवादी पार्टी की विधायक दल की बैठक में भी नहीं बुलाया गया. शिवपाल सिंह ने नाराजगी दिखाई तो अखिलेश ने एक बार फिर उन्हें इग्नोर कर दिया, शिवपाल के बीजेपी में जाने की चर्चाओं का बाज़ार गर्म हुआ तो खुद अखिलेश ने बीजेपी से पूछ लिया कि चाचा को लेने में इतनी देरी क्यों.

शिवपाल ने अखिलेश के इस बयान को बहुत गंभीरता से लिया और अखिलेश को नादान बताया. अब नया मोर्चा बनाने की तैयारी करते हुए शिवपाल ने समाजवादी पार्टी को यह बताने की कोशिश कर दी है कि वह सियासत के इतने कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं. शिवपाल और आज़म का मोर्चा बना तो समाजवादी पार्टी से मुस्लिम वोटबैंक भी खिसक जाएगा और भीम आर्मी चीफ की शिरकत हुई तो दलित वोटबैंक जुड़ भी जाएगा. कुल मिलाकर यह मोर्चा समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ाने वाला होगा.

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