जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री मौलवी नूर जलाल जलाली भारत दौरे पर दिल्ली पहुंचे हैं। बीते तीन महीनों में किसी अफगानी मंत्री का यह तीसरा भारत दौरा है, जिसे भारत और अफगानिस्तान के बीच बढ़ती कूटनीतिक और व्यावहारिक सहभागिता के तौर पर देखा जा रहा है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह सिलसिला इस बात का संकेत देता है कि दोनों पक्ष स्वास्थ्य, मानवीय सहायता, व्यापार और बुनियादी सहयोग जैसे गैर-राजनीतिक क्षेत्रों में संवाद बनाए रखने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

पिछले तीन महीनों में कौन-कौन से अफगानी मंत्री आए भारत
स्वास्थ्य मंत्री से पहले भी दो वरिष्ठ अफगानी मंत्री भारत का दौरा कर चुके हैं।
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अक्टूबर में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भारत आए थे। यह तालिबान शासन के बाद किसी वरिष्ठ अफगानी नेता की अहम यात्रा मानी गई, जिसमें मानवीय सहायता, विकास परियोजनाओं और राजनयिक संपर्कों पर चर्चा हुई।
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नवंबर में अफगानिस्तान के वाणिज्य और उद्योग मंत्री हाजी नूरुद्दीन अजीजी दिल्ली पहुंचे थे। बातचीत का फोकस व्यापार, सप्लाई चेन, एयर कार्गो सेवाओं और आर्थिक संपर्कों को सुगम बनाने पर रहा।
अब दिसंबर में स्वास्थ्य मंत्री का दौरा भारत–अफगान संपर्क को एक नया आयाम दे रहा है, जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा सहयोग पर बातचीत की संभावना जताई जा रही है।
भारत–अफगानिस्तान रिश्तों का मौजूदा ढांचा
भारत ने साफ किया है कि उसकी नीति अफगान जनता-केंद्रित है। भारत राजनीतिक मान्यता के सवाल से अलग रहते हुए मानवीय सहायता, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी जरूरतों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। पहले से मौजूद विकास साझेदारी—जैसे सड़कें, बांध, अस्पताल और शैक्षणिक संस्थान—की विरासत के आधार पर अब सहयोग को मानवीय जरूरतों तक सीमित रखा गया है।
अफगानिस्तान की कैसे मदद कर रहा है भारत
भारत की सहायता के प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं—
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मानवीय सहायता: खाद्यान्न, आवश्यक वस्तुएं और राहत सामग्री।
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स्वास्थ्य सहयोग: दवाइयां, चिकित्सा उपकरण, सीमित स्वास्थ्य अवसंरचना और प्रशिक्षण सहयोग।
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व्यापार और कनेक्टिविटी: एयर कार्गो सेवाओं और व्यापारिक संपर्कों को बहाल करने पर बातचीत।
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जन-केंद्रित दृष्टिकोण: सभी पहलें अफगान जनता के हित में, राजनीतिक हस्तक्षेप से अलग।
स्वास्थ्य मंत्री के दौरे का महत्व
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अफगानिस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्था गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। माना जा रहा है कि बातचीत में चिकित्सा सहायता, दवाइयों की उपलब्धता और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे। हालांकि आधिकारिक वार्ताओं का विस्तृत विवरण अभी सामने आना बाकी है।
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लगातार तीन महीनों में तीन अफगानी मंत्रियों का भारत आना यह दर्शाता है कि दोनों देश संवेदनशील लेकिन व्यावहारिक संवाद की राह पर हैं। भारत की नीति स्पष्ट है—राजनीतिक मान्यता से अलग रहकर अफगान जनता को राहत और सहयोग देना। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि स्वास्थ्य, व्यापार और मानवीय क्षेत्रों में यह संवाद किस हद तक ठोस सहयोग में बदलता है।
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